SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 257
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रंथ ३ जो अनुपूर्वीना भांगा-प्रस्तार पद अने विकल्पनी माफक अनुपूर्वीना पण प्रस्तार थाय छे. विकल्पना प्रस्तारमा जेम जेटला जीव होय तेना अंकनो मेळ मेळववो पडे छे तेम अनुपूर्वीना प्रस्तारमा मेळ मेळ्ववो पडतो नथी किन्तु अनुक्रमे अंक लखाय छे. जेम पांच पदनी अनुपूर्वी ना प्रथम प्रस्तारमा १-२-३-४-५ आ आंकडा आवे छे. तेनो सरवाळो करीए तो १५ थइ जाय छे. विकल्पना प्रस्तारमा तो सात जीवना प्रस्तार होय तो तेनो सरवाळो सातज आववो जोईए. प्रकृत प्रस्तारमा प्रथम अनुक्रम सचवाय छे माटेज आनुं नाम अनुपूर्वी राखवामां आव्युं छे. आ विशेषताने लीधेन पद अने विकल्पना प्रस्तार करतां अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या अधिक थाय छे. गमे ते इष्ट वस्तुना अनुक्रमे अंक कल्पी तेनुं परिवर्तन करवाथी अनुपूर्वीना प्रस्तार थाय छे. अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय अने साधु ए पांच परमेष्ठिना अरिहंत १ सिद्ध २ आचार्य ३ उपाध्याय ४ अन साधु ५ आ पांच अंक अनुक्रमानुसार कल्पी तेना परिवर्तनथी थता १२० प्रस्तार अत्यन्त प्रसिद्ध छे. जेम पांच परमेष्ठिनी अनुपूर्वी छे तेम छ काय, सात नय, आठ मद, नव तत्व, चोवीश तीर्थकर आदि गमे ते वस्तुनी अनुपूर्वीना प्रस्तार थइ शके छे.
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy