SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२५ भांगानो समजवो । जो भागाकार करता एके लब्धांक न आवे अर्थात् मुद्दल भांग चाले नहीं तो लब्धांक शून्य समजी तेमां एक उमेरवो एटले पहेलं पद पुछेल भागातुं थशे, अने शेष रहे तेटलामो विकल्प । जो शेष कई पण न वधे तो लब्धांकमां एक भेलववो नहीं, किन्तु ते संयोगीनो छेल्लो विकल्प समजवो । आ प्रमाणे पुछेल भांगाना नीकलेल पद अने विकल्प ए बेनी योजना करी भांगा लखवानी रीत प्रमाणे भांगो करी पुछनारने कहेवु के पुछेल संख्यानो सिद्धभांगो आ प्रमाणे थाय। प्रस्तारनी बीजी रीत प्रमाणे भांगो काढवो होयतो पुछेल संख्यामांथी असंयोगी विकसंयोगादिकना सिद्धभांगानी संख्या बाद करतां जे संख्या शेष रही होय तेने ते संयोगीना विकल्पनी संख्याने बदले पदनी संख्याये भाग आपवो। जे लब्धांक आवे तेमां एक भेलवतां जे थाय तेटलामो विकल्प, अने शेष रहे तेटलामु पद पुछेल भांगानुं समजवु । जो लब्धांक शून्य होय अर्थात् भाग न चाले तो तेमां एक उमेरवाथी पहेलो विकल्प अने शेष रहे तेटलामुं पद जाणवू । जो शेष कांई न वधे तो लब्धांकमां एक न उमेरवो, किन्तु लब्धांक जेटलामो विकल्प अने ते संयोगीनुं छेल्लु पद पुछेल भांगानुं समजवू । आ प्रमाणे पद विकल्प मुकरर थया पछी सिद्धभांगो स्वयं योजी लेवो। - उदाहरण कोई पुछे के षट्भंगीये पांच व्रतनो ३६०० मो भांगो केवो थाय ? उक्त संख्यामांथी त्रिक संयोगी सुधीना ३०+३६० + २१६० मली २५५० भांगा बाद करतां १०५० बाकी रह्या तेमांथी चउक संयोगीना भांगा बाद जता नथी, माटे ते भांगो चउक संयोगीमांथी नीकलवो जोइए. चउक संयोगीना विकल्प १२९६ छे तेथी १०५० नी संख्यानो भाग न
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy