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________________ ૨ ग्रंथ १ ला. श्रीगांगियअणगारना भांगा । प्रस्ताव ४ ૫ दुहो- पद विकल्प शुचि प्रतर, नष्ट अने उद्दिष्ट; ७ ८ ८ मेरु पताका मर्कटी, प्रकरण नव ए इष्ट || १ || श्रीभगवती सूत्रना नवमा शतकना ३१ मा उद्देशामां श्री पार्श्वनाथ भगवानना शिष्यानुशिष्य गंगीया नामना अणगारे श्री महावीरस्वामिने प्रश्नो पुच्छया छे के अमुक संख्याना जीव अमुक ठा जाय तेना केटला भांगा थाय. भांगा एटले विकल्प -- भेद-प्रस्तार, महावीरस्वामिये तेना जवाव आप्या छे अने भांगानी संख्या जणावी छे: ते भांगा केवी रीते अने केटले प्रकारे बने छे तेनो आहि विचार करीए. सामान्य रीते पद अने विकल्पना योगथी भांगा बने छे. पद एटले स्थान - ठामना प्रस्तार अने विकल्प एटले जीवना प्रस्तार, तेथी भांगा समजवा माटे प्रथम पद अने विकल्प समजवानी जरूर छे, एटलं ज नहि पण तेनी संख्या वगेरे जाणवा माटे शुचिका नष्ट उद्दिष्ट वगेरे जाणवानी पण जरूर छे. तेथी उपर लख्या दोहा प्रमाणे भांगाना नव अंग जाणवानी आवश्यकता छे माटे क्रमसर एकेक अंगनो एकेक प्रकरणमां विचार करवामां आवशे. प्रकरण ? लूँ; पद -- स्थानप्रस्तार. भांगाना अंगोमां प्रथम अंग पद -- स्थानप्रस्तार छे माटे प्रयम पदनो विचार करीए. जीव मरीने कोई पण स्थाने जाय, ते स्थान एक करतां वधारे होय एटले तेना संयोगथी प्रस्तार थाय.
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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