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________________ दानशासन MorwwAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA. पृष्ठ श्लोक ५२८ लोकका उपकार २८५ ७ ५२९ लोकका उद्धार २८६ ८ ५३० शास्त्रप्रतिष्ठा ५३१ शास्त्रदानफल २८६-८७ ११.१३ ५३२ पवित्रकार्य में धनव्ययका विचार न करें २८७ १४-१५ ५३३ विनयका महत्त्व २८८ १६ ५३४ शास्त्रपठनयोग्यस्थान २८८ १७ ५३५ पुस्तकादिदामफल २८८ १८ ५३६ गुरुभक्तिका फल २८९ १९ ५३७ सज्जन कभी शास्त्राध्ययन छोडते नहीं २८९ ५३८ पुत्रका अज्ञान दूर करने का उपदेशः . २८९ ५३९ शास्त्रदानफल २९० २२ ५४० जिनबिम्बपूजाफल २९० २३ ५४१ साधुसेवाफल २९१ २४-२५ ५४२ अल्पानल्पगुणियों की पूजा २९१ २६ ५४३ अल्पानल्पज्ञानियों की पूजा २९१ २७ ५४४ व्यसहायसे विद्वानोंको तैयार करने का फल २९२ २८ ५४५ दान देते समय सजन प्रमाण नहीं करते २९२ २९-३० ५४६ दानहीन संपत्ति व्यर्थ है २९३ ३१ ५४७ विद्वानोंका अपमान न करें २९३ ५४८ शास्त्र पढनेवालोंको इतर काममें लगानेका फल २९४ ५४९ प्रसिद्धगुरु का नाम लेना २९४ ५५० ज्ञानसाधनापहरणफल २९४ ३५ ५५१ ज्ञानसाधनदहनफल ५५२ गुरुवोंके अविनय का फल २९५ ३७ ३
SR No.022013
Book TitleDan Shasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovindji Ravji Doshi
Publication Year1941
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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