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________________ विषयानुक्रमणिका ४५९ दान देनेवालोंको रोकनेका फल ४६० निमंत्रणकर रोकनेका का फल ४६१ मिथ्यादृष्टिको दयासे ही दान देवें ४६२ जैन श्रावकको घरके बाहर नहीं जिमावे पृष्ठ लोक २५०-५१ १९१-९२ १९३ २५१ १९४ २५२ १९५ ४६३ अशिक्षित मिथ्यादृष्टियों को दान न देवें ४६४ अपकारियोंको धर्म समझकर द्रव्य न देवें ४६५ गायकादियोंको पात्र समझकर दान न देवें ४६६ अपात्रदानफल ४६७ इंद्रियवशकरनेवाले संयमियों को पोषे ४६८ वेश्याकी संगति पैसेवालों के साथ होती है ४६९ कुलाङ्गना के समान दाता उपकारियों की सेवा करें २५१ २५२ २५२ २५३ २५३ २१ २५३ २५४ १९६ १९७ १९८ १९९ २०० २०१ २५४ ४७० दुष्टकार्यों में उद्योग मत कर २५४ ४७१ अन्यकलत्र के समान दत्तपदार्थका ग्रहण न करें २५५२०४-२०५ १०२ २०३. ४७२ परद्रव्यपर आक्रमण न करें २५६ २०६ ४७३ जिनचर्चित गंध, उदक, पुष्पों को ग्रहण करें २५६ २०७ ४७४ पात्रार्पितद्रव्यका स्पर्श न करें २५६ २०८ ४७५ दत्तद्रव्यग्रहण निषेध २५७ २०९-१० . ४७६ दत्तद्रव्याग्रहणफल २५९ २११ २५९ २१२-१३ ४७७ दत्तद्रव्यग्रहणफल ४७८ अन्यद्रव्यग्रइणनिषेध ४७९ देवगुरुसेवाफल ४८० देवद्रव्य ग्रहणफल ४८१ प्रशंसाकृतदान २६०-६१२१४-१७ २६१ २१८-१९ २२० २६१ २६२ २२१
SR No.022013
Book TitleDan Shasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovindji Ravji Doshi
Publication Year1941
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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