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________________ दानशासनम् 20000000000AAAAAAAAAAAAnandinAsareenwronAmAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAna पृष्ठ लोक ४३४ मानवीयमनोवृत्ति २३६.१९९.५० ४३५ दूसरोंको कर्ज देनेवाला कैसा होता है २३६ १५१ ४३६ परार्थापहरणफल २३७ १५२ ४३७ नीचव्यवहारत्याग २३७ १५३ १३८ रणनीति २३८ १५४ ४३९ ऋणदोष २३८ १५५ ४४० मायाचारदोष २३८ १५६ ४११ दरिद्र २३९ १५७ ४१२ विभावभावसे युक्त युवती २३९ १५८ १४३ धर्मविध्वंसिनी स्त्री २३९, १५९ ४४४ बहानाबाजी करनेवाली स्त्री व उसके प्रकार २४०. १६०-६१ ४४५ पात्रानादर फल २४१ १६२ ४४६ गर्भिणी अनादर करें तो - २४१ १६३ ४४७ अर्ध अनदान २४२ १६४ ४४८ क्रोधदत्ताहार २४२ १६५-६६ ४४९ पंक्तिभेदकृतफल २४३ १६७ ४५० देवगुरुओंमें उदासीनता न करें २४३ १६८ ४५१ उपकारियों के प्रकार २५३.४४ १६९.७१ ४५२ दाताओं के प्रकार २४४.४५ १७२-७५ ४५३ मिथ्यादृष्टियोंको दान देनेका फळ २४६ १७६-७७ ४५४ भयप्रदत्तदान २४६ १७८ ४५५ व्याघ्ररूपदाता २४७ १७९ ४५६ दाताओंके और भी भेद २४७-४८ १८०-८५ ४५७ पात्रदानादिकके लिए द्रव्यकी कमी २४८ १८६ ४५८ मिथ्यादृष्टिदत्तदानफल २१९-५० १८७-९०
SR No.022013
Book TitleDan Shasanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Parshwanath Shastri
PublisherGovindji Ravji Doshi
Publication Year1941
Total Pages380
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size27 MB
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