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________________ ............ क्रम विषय नृतीय सूत्र (पव्वज्जागहणविहिन्सुत्तं) १. साधु धर्म के लिए प्रयत्न २. माता-पिता को प्रतिबोध ३. संसार स्वरूप का वर्णन ४. परिवार सहित धर्म सेवन ५. मुमुक्षु की कृतज्ञता और करुणा ६. दीक्षा की अननुमति पर माया ७. अटवी ग्लानऔषधि दृष्टान्त ८. शुक्लपाक्षिक जीव, सम्यक्त्वादि औषध ९. लोकोत्तर धर्म में प्रवेश चतुर्थ सूत्र (पवज्जापरिपालणासुतं) १. विशुद्ध चारित्रपालन २. प्रथमसुख और गुरुकुलवास ३. अविधि अध्ययन से आपत्ति ४. प्रवचन-माता ५. आश्वासद्वीप, प्रकाश दीप ६. शारीरिक-व्याधि का उपचार ७. भवव्याधि का उपचार ८. गुरु-आदर से जिन-आदर ९. 'योगी' सम्पूर्ण भोग क्रिया में अनासक्त १०. सम्यग्ज्ञान का प्रभाव ११. चरमभव की तैयारी पंचम सूत्र (पव्वज्जाफलसुत्तं) १. परमब्रह्म की प्राप्ति २. परमब्रह्म का स्वरूप ३. निरपेक्षता का महत्त्व ४. अनुपमेय सिद्धिसुख ५. अनुभवगम्य सिद्धि-सुख ६. बद्ध-अबद्ध की मोक्षचर्चा ७. दिदृक्षा-भव्यत्व का वाद ८. मुक्ति पर सत्-असत् का विचार ९. सिद्धि का स्थान, गति आदि १०. जिनाज्ञा के लिए पात्र-अपात्र निरूपण धर्माचार्य बहुमान प्रकरणम् श्रमण संघ को उपयोगी हितशिक्षा
SR No.022004
Book TitleSramanya Navneet
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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