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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || दिसामोहेणं साहुक्यणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ ॥५०-३॥ सूत्र. ३) (८५)एगासणं पच्चक्खाइ चव्विहंपिआहारं पाणंखाइभसाइमं अन्नत्थ्णाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउंटणपसारेणं गुरुअब्भुट्टाणेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ ॥५०-४॥ सूत्र. 40 __(८६) एगट्ठाणं पच्चक्खाइ चव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं आउंटणपसारेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिद्वावणियागारेणं सव्वसमाहिवतिआगारेणं वोसिरइ ॥५०५॥ सूत्र.5 __(८७) आयंबिलं पच्चक्खाइ चव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं लेवालेवेणं उक्खित्त विवेगेणं गिहत्थसंसद्वेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवतिआगारेणं वोसिरह ॥५०-६॥ सूत्र.61 ___(८८) सूरे उगए अभत्तटुं पच्चक्खाइ चव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ ॥५०-७॥ सूत्र.71 (८९) दिवसचरिमं पच्चक्खाइ चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिरइ ॥५०-८॥ (९०) भवचरिमं पच्चक्खाइ, अन्नत्थ्णाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तिआगारेणं वोसिर३ ॥५०-९॥ |॥श्रीआवश्यक सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021042
Book TitleAgam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages33
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size7 MB
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