SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरगणाणं ॥ ४॥ दीवसिहसरिसवण्णित्थ केइ जासुमणसूरसरिवन्ना। हिंगुलुयधाउण्णा जत्थावासा सुरगणाणं ॥५॥ कोरिटधाउण्णित्थ केइ फुल्लकणियारसरिसवण्णा योहालिद्दभेयवण्णा जत्थावासा सुरगणाण॥६॥अविउत्तमल्लदामा निम्मलगाया सुगंधनीसासा सव्वे अवद्वियवया सयंपभा अणिमिसच्छा य॥७॥ बावत्तरिकलापंडिया 3 देवा हवंति सव्वेऽवि। भवसंकमणे तेसिं ||पडिवाओ होइ नायव्यो॥८॥ कल्लाणफलविवागा सच्छंदविउब्वियाभरणधारी। आभरणवसणरहिया हवंति ाभावियसरीरा ॥९॥ वत्तुलसरिसवरूवा देवा इक्कम्मि ठिईविसेसम्मिोपच्च्म्गहीणमहिमा ओगाहणवण्णपरिमाणा॥ २५०॥किण्हा नीला लोहिय हालिहा सुकिला विरायंतिपंचसाए उविद्धापासाया तेसुकप्पेसु ॥१॥तत्थासाणा बहुविहा सयपिज्जा मणिभत्तिसयविचित्ताविरइवित्थडभूसा स्यणामयदाभलंकारा ॥२॥छव्वीस जोयणसयाई पुढवीणं ताण होइ बाहल्ली सणंकुभारमहिंद स्थणविचित्ता यसा पुढवी ॥३॥ तत्थ य नीला लोहिय हालिदा सुक्लिा विरायंतिछच्चसए उविद्धा पासाया तेसुक्ष्णेसु॥४॥तत्थ विमाणा बहुविहा०॥५॥पण्णावीस जोयणसयाई पुढवीण होइ बाहल्लीबंभयलंत्यप्पे रयणविचित्तायसा पुढवी ॥६॥ तत्थ विभाणा बहुविहा०॥७॥लोहिय हालिदा पुण सुकिलवण्णा य ते विरायंति। सत्तसए उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु ॥८॥चवीसं जोयणयसयाई पुढवीण होइ बाहली सुक्के य सहस्सारे रयणविचित्ता य सा पुढवी ॥९॥ तत्थ विमाणा बहुविहा० ॥ २६०॥ हालिद्दभेयवण्णा सुक्किलवण्णा य ते विरायंति। अट्ठ य ते उविद्धा पासाया तेसु कप्पेसु॥ १॥ तत्थासाणा बहुविहा० ॥ २॥ तेवीसं जोयणयसयाइ पुढवीण तासिं होई बाहली ॥श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021034
Book TitleAgam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages33
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy