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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मणिकणगरयणथूभियजंबूणयवेइयाई भवणाईएएसिंदाहिणओ सेसाणं उत्तरे पासे ॥८॥दसवाससहस्साई ठिई जहना उवंतरसुराणा पलिओवमं तु इथं ठिई 3 उक्कोसिया तेसिं॥९॥ एसा वंतरियाणं भवणठिई वन्निया सभासेणी सुण जोइसालयाणं आवासविहिं सुरवराणं॥ ८०॥ चंदा सूरा तारागणा य नक्खत्त गहगण समत्ता। पंचविहा जोइसिया ठिई वियारी य ते गणिया॥१॥ अद्धकविढगसंठाणसंठिया फालियामया रम्मा। जोइसियाण विभाणा तिरियंलोए असंखिज्जा॥२॥ धरणियलाउ समाओ सत्तहि नउएहिं जोयणसएहि हिडिल्लो होइ तलो सूरो पुण अहिं सएहिं ॥३॥ अट्ठसए असीए.चंदो तह चेव होइ उवरितले एगं दसुत्तरसयं बाहल्लं जोइसस्स भवे॥४॥एगट्ठिभाय काऊण जोयणं तस्स भाग छप्पण्णीचंदपरिमंडलं खलु अडयाला होइ सूरस्स ॥५॥जहिं देवा जोइसिया वरतरुणी निच्चसुहिया०॥६॥छप्पन्नं खलु भागा विच्छिन्नं चंदमंडलं होइ। अडवीसंच कलाओ बाहल्लं तस्स बोद्धव्वं ॥७॥ अडयालीसं भागा विच्छिन्नं सूरमंडलं होइ। चउवीसं च कलाओ० ॥८॥ अद्धजोयणिया उगहा तस्सद्धं चेव होइ नक्खत्ता। नक्खत्तद्धे तारा तस्सद्धं चेव बाहल्लं॥ ९॥ जोयणमद्धं तत्तो गाऊयं पंचधणुसया हुँति गहनक्खत्तगणाणं तारविमाणाण विक्खंभो/ | ॥९०॥ जो जस्सा विक्खंभो तस्सद्धं चेव होइ बाहल्लीतं तिउणं सविसेसं परीरओ होइ बोद्धव्वो॥ १॥सोलस चेव सहस्सा अढ य चउरो य दुन्नि य सहस्सा। जोइसिआण विभागा वहंति देवाभिओगाओ ॥श पुरओ वहति सीहा दाहिणओ कुंजरा महाकाया। पच्चत्थिमेण वसहा तुरगा पुण उत्तरे पासे ॥३॥चंदेहि 3 सिग्धय। सूरेहिं तह गहा सिन्धा। नक्खत्ता 3 गहेहि य नक्खत्तेहिं तु ताराओ ॥श्री देवेन्द्रस्तव सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021034
Book TitleAgam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages33
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size6 MB
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