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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सागरोवम सुंदरि ! उक्कोसिया ठिई भणिया । साहीया बोद्धवा बलिस्स वयरोयणिंदस्स ॥ ८ ॥ जे दाहिणाण इंदा चमरं मुत्तूणं सेसया भणिया। पलिओवमं दिवङ्कं ठिई उ उक्कोसिया तेसिं ॥ ९॥ जे उत्तरेण इंदा बलिं पमुत्तूण सेसया भणिया । पलिओवभाई दुण्णि उ |देसूणाई ठिई तेसिं ॥ ३० ॥ एसोवि ठिइविसेसो सुंदररुवे! विसिगुरुवाणी भोमिज्जसुरवराणं सुण अणुभागो सुनयराणं ॥ १ ॥ जोयणसहस्समेगं ओगाहित्तूण भवणनगराई । रयणप्पभाड़ सव्वे इक्कारस जोयणसहस्से ॥ २ ॥ अंतो चउरंसा खलु अहियमणोहरसहावर-मणिज्जा । बाहिर ओऽविय वट्टा निम्मलवइरामया सव्वे ॥ ३ ॥ उक्किन्नंतर फलिहा अब्भिंतरओ उ भवणवासीण । भवणनगरा विरायंति कणंगसुसिलिट्ठपागारा ॥ ४॥ वरपउमकण्णियामंडियाहिं हिट्ठा सहावलट्ठेहिं । सोहिंति पड़ट्ठाणेहिं विविहमणिभत्तिचित्तेहिं ॥ ५ ॥ चंदणपइट्ठिएहि य आसत्तोसत्तमल्लदा मेहिं । दारेहिं पुरवरा ते पडागमालाउरा रम्मा ॥ ६ ॥ अद्वेव जोयणाई उव्विद्धा हुंति ते दुवारवरा । धूवघडियाउलाई कं चणदाभोवणद्धाणि ॥ ७॥ जहिं जेवा भवणवई वरतरुणीगीयवाइयखेणं। निच्चसुहिया पमुइया गयंपि कालं न याणंति ॥ ८ ॥ चमरे धरणे तह वेणुदेव पुण्णे य होइ जलकंते । अमियगई वेलंबे घोसे य हरी य अग्गिसिहे ॥ ९ ॥ कणगमणिरयणथूभियरम्भाई सवेइयाइं भवणाई । एएसिं दाहिणओ सेसाणं दाहिणे (उत्तरे ) पासे ॥ ४० ॥ चउतीसा चोयाला अट्ठतीसं च सयसहस्साइं । चत्ता पत्रासा खलु दाहिणओ हुंति भवणाई ॥ १ ॥ तीसा चत्तालीसा चउतीसं चेव सयसहस्साइं । छत्तीसा छायाला उत्तरओ हुंति भवणाई ॥ २ ॥ भवणविमाणवईणं तायत्तीसा य लोगपाला या सव्वेसिं तिन्नि परिसा समाणच गुणायरक्खा उ ॥ ३ ॥ ॥ श्री देवेन्द्रस्तव सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021034
Book TitleAgam 32 Prakirnaka 09 Devendrastava Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages33
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_devendrastava
File Size6 MB
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