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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||खलु जंबू! समणेणं भगवता जाव संपत्तेणं निक्खेवओ।२७॥ पुण्णभद्दज्झयणं १०-५॥ जहणं भंते! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं उखेवओ, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, साभी सभोसरिते, तेणं कालेणं० माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहासणंसि चाहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुण्णभद्दो तहेव आगमणं नट्टविही, पुव्वभवपुच्छ। मणिवई नगरी माणिभद्दे गाहावई थेराणं अंतिए पव्वजा एक्कारस अंगाई अहिज्जति बहूई वासाई परियातो मासिया संलेहणा सटुिं भत्ताइं० माणिभद्दे विभाणे देवत्ताए उववातो, दो सागरोवमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति०, एवं खलु जंबू! निक्खेवओ॥माणिभदंग्झयणं १०-६॥ एवं दत्ते सिवेबले अणाढिते सव्वे जहा पुण्णभद्दे देवे, सव्वेसिं दो सागरोवमाई ठिती, विमाणा देवसरिसनामा, पुन्वभवे दत्ते चंदणाणामए सिवे मिहिलाए बलो हत्थिणापुरे नगरे अणाढिते काकंदिते चेइयाई जहा संगहणीए । २८॥ ३ वग्गो ७-१०॥ पुफिया समत्ता १०॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षकआगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्रीआनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचकआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्यविजेता-मालवोध्धारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी ॥श्रीपुफिया सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021023
Book TitleAgam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages37
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pushpika
File Size8 MB
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