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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जइ णं भंते! समणेणं भगवया उक्खेवओ, एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं० रायगिहे नाम नगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए|| राया, सामी सभोसरिते, परिसा निग्गया, तेणं कालेणं० पुण्णभद्दे देवे सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे सभाए सुहम्माए पुण्णभईसि सीहासणंसि चाहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियाभो जाव बत्तीसतिविहं नट्टविहिं उवदंसित्ता जामेव दिसिं पाउन्भूते तामेव दिसिं पडिगते, कूडागारसाला०, पुवभवपुच्छा, एवं गो०! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे मणिवइया नाम नगरी होत्था रिद्ध०, चंदोतारणे चेइए, तत्थ णं मणिवइयाए नगरीए पुण्णभद्दे नाम गाहावई परिवसति अड्डे०, तेणं कालेणं० थे। भगवंतो जाति संपण्णा जाव जीवियासमरणभयविष्पमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुव्वाणुपुब्बिं जाव सभोसढा, परिसा निग्गया, तते णं से पुण्णभद्दे गाहावई| इभीसे कहाए लद्धटे समाणे हट्ठ० जहा पण्णत्तीए गंगदत्ते तहेव निग्गच्छइ जाव निक्खंतो जाव गुत्तबंभचारी, तते णं से पुण्णभद्दे अणगारे तहारूवाणंथेराणं भगवंताणं अंतिए सामाइयमादियाई एक्कारस अंगाई अहिजइ त्ता बहूहिं चउत्थछट्ठट्ठम जाव भाविता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणति त्ता मासियाए संलेहणाए सर्द्धि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिकंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दविमाणे उववातसभाते देवसयणिजसि जाव भासामणपजत्तीए० एवं खलु गो०! पुण्णभद्देणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव अभिसमण्णागता, पुण्णभहस्सणं भते! देवस्स केवइयं कालं ठिई पं०?, गो०! दो सागरोवमाई ठिई पं०, पुण्णभद्दे णं भंते! देवे तातो देवलोगातो जाव कहिं गच्छिहिति०?. गो०! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति, एवं भीपुफिया सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021023
Book TitleAgam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages37
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pushpika
File Size8 MB
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