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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुमारे, तस्स णं सुकालस्स कुमारस्स महापउमा नाम देवी होत्था सुकुमाला०, तते णं सा महापउमा देवी अन्नदा क्याई तंसि|| तारिसगंसि एवं तहेव महापउमे नाभं दारते जाव सिज्झिहिति, नवरं ईसाणे कप्पे उववाओ उक्कोसटिइओ, एवं खलु जंबू ! सभणेणं भगवया जाव संपत्तेणं०॥ महापउमज्झयणं ९-२॥ एवं सेसावि अट्ठ नेयव्वा, मातातो सरिसनामाओ, कालादीणं दसण्हं पुत्ता आणुपुवीए, दोण्हं च पंच चत्तारि तिण्हं तिण्हं| च होति तिनेवा दोण्हं च दोण्णि वासा सेणियनत्तूण परियातो ॥१॥ उववातो आणुपुव्वीते पढमो सोहम्मे बितितो ईसाणे ततितो सणंकुमारे चउत्थो माहिदे पंचमओ बंभलोए छट्टो लंतए सत्तमओ महासुक्के अट्ठमओ सहस्सारे नवमओ पाणते दसमओ अच्चुए, सव्वत्थ उक्कोसठिई भाणियब्वा, महाविदेहे सिद्धी २॥९, ३-१०॥ कप्पवडिंसियाओ समत्ताओ, बितितो वग्गो दस अझयणा ९॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता पभोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महारांजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचक्रआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्यविजेता-मालवोधारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगमविशारद-नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री अभयसागरजी म.सा. शिष्य शासन प्रभावक-नीडर वक्ता ५. ॥श्रीकप्पवडिसिया सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021022
Book TitleAgam 20 Upang 09 Kalpavatansika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages17
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpavatansika
File Size5 MB
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