SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पउमेत्ति २, सेसं जहा महाबलस्स, अट्टओ दातो, जाव पासायवरगते विहरति, सामी समोसरिए, परिसा निग्गया, कूणिते निग्गते,|| पउभेवि जहा महब्बले निग्गते धम्म सोच्चा तहेव अम्मापितिआपुच्छणा जाव पव्वइए, अणगारे जाए जाव गुत्तबंभयारी, तते णं से पउमे|| अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमादियाई एकारस अंगाई अहिजइत्ता बहूहिं चउत्थछट्ठट्ठम|| जाव विहरति, तते णं से पउमे अणगारे तेणं ओरालेणं जहा मेहो तहेव धम्मजागरिया चिंता एवं जहेव मेहो तहेव समणं भगवं० आपुच्छित्ता विउलं जाव पाओवगते समाणे तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई, बहुपडिपुण्णाई पंच वासाई सामनपरियाए, मासियाए संलेहणाए सष्टुिं भत्ताई अणसणाए छेदित्ता आणुपुवीए कालगते, थेरा ओनिना, भगवं गोयमे पुच्छइ, साभी कहेइ, जाव सढि भत्ताई अणसणाए छेदिता आलोइय० उड्डे चंदिम० सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने दो सागराइं, से णं भंते ! पउमे देवे तातो देवलोगातो आउक्खएणं पुच्छा, गो० ! महाविदेहे वासे जहा दढपइन्नो जाव अंतं काहिति, एवं खलु जंबू ! समणेणं| जाव संपत्तेणं कम्पवडिसियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयम्टे पण्णत्तेत्तिबेमि २१॥ पउमझवणं ९-१॥ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं कप्पवडिंसियाणं पढमस्स अझयणस्स अयमढे पं० दोच्चस्स गं भंते ! अन्झयणस्स के अटे पं०?, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० चंपा नामं नयरी होत्या, पुनभद्दे चेइए, कूणिए राया, उमावई देवी, तत्थ/ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रनो भजा कोणियस्स स्त्रो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्या, तीसे णं सुकालीए पुत्ते सुकाले नाम | ॥श्रीकप्पवडिसिया सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021022
Book TitleAgam 20 Upang 09 Kalpavatansika Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages17
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_kalpavatansika
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy