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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org |हत्थिखंधवरगया जाव घोसंति ता एअमाणत्तिअं पच्चष्पिणंति, नए णं से भरहे राया महया २ रायाभिसेएणं अभिसित्ते समाणे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ ता इत्थिरयणेणं जाव गाडगसहस्सेहिं संपरिवुडे अभिसे अपेढाओ पुरत्थिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहइ त्ता अभिसेअमंडवाओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव आभिसेक्के हत्थिरयणे तेणेव उवागच्छइ ता अंजणगिरिकूडसण्णिभं गयवइं नरवई दूरूढे, तए णं तस्स भरहस्स रण्णो बत्तीसं रायसहस्सा अभिसेअपेढाओ उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहंति, तए णं तस्स |भरहस्स रण्णो सेणावइरयणे जाव सत्थवाहप्पभिइओ अभिसे अपेढाओ दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहंति, तए णं तस्स | भरहस्स रण्णो आभिसेक्कं हत्थिरयणं दूरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरओ जाव संपत्थिआ, जोऽविअ अइगच्छमाणस्स गमो पढमो जाव कुबेरावसाणो सो चेव इहंपि कमो सक्कारजढो णेअव्वो जाव कुबेरोव्व देवराया के लाससिहरिसिंगभूअं, तए णं से भर हे राया मज्जणघरं अणुपविसइ ता जाव भोअणमंडवंसि सुहासणवरगए अट्टमभत्तं पारेइ त्ता भोअणमंडवाओ पडिणिक्खमइ ता उपिं पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थएहिं जाव भुंजमाणे विहरड़, तए णं से भरहे राया दुवालससंवच्छरिअंसि पमोअंसि णिव्वत्तंसि समाणंसि जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ ता जाव मज्जणघराओ पडिणिक्खमड़ ता जेणेव बाहिरिआ उवद्वाणसाला जाव सीहासणवर गए पुरत्याभिमुहे णिसी अइ ता सोलस देवसहस्से सक्कारेइ सम्माणेइ ता पडिविसज्जेइ त्ता बत्तीसं रायवरसहस्सा सेणावइरयण | जाव पुरोहियरयणं एवं तिण्णि सट्टे सूआरसए अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ अण्णे य बहवे राईसरतलवर जावसत्थवाहप्पभिइओ सक्कारेइ पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्रं ॥ ८७ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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