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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आलिहइ, तीसे णं खंडगप्पवायगुहाए बहुमझदेसभाए जाव उम्मगणिमग्गजलाओ णामं दुवे महाणईओ तहेवणवरं पच्चस्थिभिलाओ|| कडगाओ पवूढाओ समाणीओ पुरथिमेणं गंगं महाणइंसमध्येति, सेसं तहेवणवरि पच्चथिमिल्लेणं कूलेणं गंगाए संकमवत्तव्वया तहेव, तए णं खंडगप्पवायगुहाए दाहिणिलस्स दुवारस्स कवाडा सयमेव महया २ कोंचारवं करेमाणा २ सरसरसरस्स सगाई ठाणाई|| पच्चोसक्कित्था, तए णं से भरहे राया चक्करयणदेसियमग्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ दक्खिणिल्लेणं दारेणं णीणेइ ससिव्व मेहंध्यारनिवहाओ॥६५॥तए णं से भरहे राया गंगाए महाणईए पच्चथिमिल्ले कुले दुवालसजोअणायाम णवजोअणाविच्छिण्णं जाव विजयक्खंधावारणिवेसं करेइ, अवसिटुं तं चेव जाव निहिरयणाणं अट्ठमभत्तं पगिण्हइ, तए णं से भरहे राया पोसहसालाए जाव णिहिरयणे मणसीकरमाणे २ चिट्ठइ, तस्स य अपरिमिअस्त्तरयणा धुअमक्खयमव्वया सदेवा लोकोपचयंकरा उवगया णव णिहिओ लोगविस्सुअजसा तं०-नेसप्ये पंडुअए पिंगलए सव्वरयण महपउमे काले अ महाकाले माणवगे महानिही संखे॥ २८॥णेसप्पंमि|| णिवेसा गामागरणगरपट्टणाणं चोदोणमुहमडंबाणं खंधावारावणगिहाणं॥ २९॥ गणिअस्स य उम्पत्ती माणुभ्माणस्स जं पमाणं च धण्णस्स य बीआण य उप्पत्ती पंडुए भणिया ॥३०॥ सव्वा आभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणी आसाण य हत्थीण य पिंगलगणिहिमि सा भणिआ॥ ३१॥ रयाई सव्वरयणे चउदसवि वराई चक्षवट्टिस्स। उप्पजते पंचिदियाई एगिदिआई च ॥३२॥ वत्थाण य उम्पत्ती णिप्पत्ती चेव सबभत्तीणीरंगाण यधोव्वाण यसव्वा एसा महापउमे ॥३३॥ काले कालण्णाणं भवपुराणंच | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ पू. सागरजी म.-संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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