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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |महाणईए पच्चस्थिमिल्लेणं कूलेणं दाहिणदिसिंखंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए आवि होत्था, ततेणं से भरहे राया जावजेणेव खंडप्पवायगुहा/ तेणेव उवागच्छइ त्ता सव्वा क्यमालकवत्तव्व्या अव्वा, णवरि णट्टमालगे देवे, पीतिदाणं से आलंकारिअभंडं कडगाणि य सेसं सव्वं तहेव जाव अट्टाहिआ महामहिमा, तए णं से भरहे राया णट्टमालगस्स देवस्स अट्ठाहिआए म० णिवत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सदावेइत्ता जावसिंधुगमोणेअव्वो जाव गंगाए महाणईए पुरथिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागरगिरिमेरागंसमविसमणिक्खुडाणि यओअवेइत्ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइत्ता जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइत्ता दोच्चपिसक्खंधावारबले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीई णावाभूएणं चम्भरयणेणं उत्तरइ त्ता जेणेव भरहस्स रण्णो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइत्ता आभिसेकाओ हस्थिरयणाओ पच्चोरूहइत्ता अग्गाईवराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइत्ता करयलपरिग्गहिअंजाव अंजलिं कट्ट भरहं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता अम्गाई वराई रयणाई उवणेइ, तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अम्गाईवराई रयणाई पडिच्छइत्ता सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्भाणेइत्ता पडिविसज्जेइ, तए णं से सुसेणे सेणावई भरहस्स रण्णो सेसंपि तहेव जाव विहरइ, तए णं से भरहे राया अण्णया कयाई सुसेणं सेणावइरयणं सद्दावेइ त्ता एवं वयासी गच्छ णं भो देवाणुप्पिआ! खंडगप्पवायगुहाए उत्तरिल्लस्स दुवारस्स कवाडे विहाडेहि त्ता जहा तिमिस्सगुहाए तहा भाणिअव्वं जाव पिअंभे भव सेसं तहेव जाव भरहो तिमिस्सगुहाए उत्तरिल्लेणं दुवारेणं अईइ ससिव्व मेहंध्यारनिवहं, तहेव पविसंतो मंडलाई ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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