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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |एत्थ णं जंबुद्दीवे एरावए णामं वासे पं० खाणुबहले कंटकबहले एवं जच्चेव भरहस्स वत्तव्वया सच्चेव सव्वा निरवसेसा अव्वा || सओअवणा सणिक्खमणा सपरिनिव्वाणाणवरं एरावओ चक्कवट्टी एरावओ देवो से तेणटेणं० एरावर वासे २१११२।वासहरवासवण्णो जया णंएकमेके चक्कवट्टिविजए भगवन्तो तित्थ्यरा समुप्पजन्ति तेणं कालेणं० अहेलोगवत्थव्वाओ अट्ट दिसाकुमारीया महत्तरिआओ/ सएहिं २ कूडेहिं सएहिं २ भवणेहिं सएहिं २ पासायवडेंसएहिं पत्तेअं२ चाहिं सामाणिअसाहस्सीहिं चाहिं महत्तरिआहिं सपरिवाराहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणिआहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहि(प्र० भवणव)वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिवुडाओ महयाहयणगीयवाइय जाव भोगभोगाई भुंजमाणीओ विहरंति, तं०-'भोगंकररा भोगवई, सुभोगा भोगमालिनी तोयधारा विचित्ताय पुष्पमाला अणिंदिया ॥७०॥तएणं तासिंअहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारिणं मयहरियाणं पत्तेयं २ आसणाई चलंति, तए णं ताओ अहेलोगवत्थव्याओ अट्ठ दिसाकुमारिओ महत्तरियाओ पत्तेयं २ आसणाई चलिआई पासंति त्ता ओहिं पउंजंति त्ता भगवं तित्थ्यरं ओहिणा आभोएंति त्ता अण्णमण्णं सहाविति त्ता एवं व्यासी उप्पण्णे खलु भो ! जंबुद्दीवे भयवं तित्थ्यरे तंजीयमेयं तीअपच्चुप्पणमणागयाणं अहेलोगवत्थव्वाणं अट्ठण्हं दिसाकुमारी महत्तरियाणं भगवओ तित्थगरस्स जम्मणमहिम रेत्तए तंगच्छामो णं अम्हेवि भगवओ जम्भणमहिम रेमोत्तिकट्ट एवं वयंति त्ता पत्तेयं २ आभिओगिए देवेसहावेंति त्ता एवं व्यासी खिय्यामेव भो देवाणुप्पिया! अणेगखम्भिसयसण्णिविढे लीलहिअ० एवं विमाणवण्णओ भाणियव्वो जाव जोअणविच्छिण्णे दिव्वे | ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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