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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie |पंच य एक्कारे जोयणसए छच्च इकारसभाए जोअणस्स बाहिं गिरिपरिरएणं तिण्णि जोअणसहस्साई दुणिय बावत्तरे जोअणसए अट्ठ य इकारसभाए जोयणस्स अंतो गिरिविक्खम्भेणं दस जोअणसहस्साई तिण्णि य अउणापण्णे जोअणसए तिण्णि य इक्कारसभाए जोअणस्स अंतो गिरिपरिरएणं, से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं सवओ समन्ता संपरिक्खित्ते वण्णओ किण्हे किण्होभासे जाव आसयन्ति०, एवं कूडवजा सच्चेव णन्दणवणवत्तव्वया भाणियव्वा, तं चेव ओगाहिऊण जाव पासायवडेंसगा सक्कीसाणाणं ॥१०६।कहिं गंभंते! मन्दरपव्वए पंडगवणे णामं वणे पं०?, गो०! सोमणसवणस्स बहुसभरमणिज्जाओ भूमिभामाओ छत्तीसं जोअणसहस्साई उद्धं उप्पइत्ता एत्थ णं मन्दरे पव्वए सिहरतले पंडगवणे णामं वणे पं० चत्तारि चउणउए जोयणसए चकवालविक्खम्भेणं वट्टे वलयाकारसंठाणसंठिए, जेणं मंदरचूलिअंसव्वओ समन्ता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठइ तिण्णि जोयणसहस्साई| एगं च बावटुं जोयणसयं किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं, से णं एगाए एउमवरवेइआए एगेण य वणसंडेणं जाव किण्हे० देवा आसयन्ति०, पंडगवणस्स बहुमझदेसभाए एत्थ णं मंदरचूलिआ णामं चूलिआ पं० चत्तालीसं जोयणाई उद्धंउच्चत्तेणं मूले बारस/ जोयणाई विक्खम्भेणं मझे अट्ठ जोयणाई विक्खम्भेणं उप्पिं चत्तारि जोयणाई विक्खम्भेणं मूले साइरेगाई सत्तत्तीसं जोयणाई परिक्खेवेणं मझे साइरेगाइं पणवीसं जोयणाई परिक्खेवेणं उप्पिं साइरेगाई बारस जोयणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुआ गोपुच्छसंठाणसंठिआ सव्ववेरुलिआमई अच्छा०, साणं एगाए पउमवरवेइआए जाव संपरिक्खित्ता, उप्पिं || ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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