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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandie |णिज्जिएसु भहाहिवे परिंदे वरचंदणचच्चियंगे वरहाररइअवच्छे वरमउडविसिट्ठए वरवत्थभूसणधरे सव्वोउअसुरहिकुसुमवरमल्लसोभिअसिरे वरणाडगनाडइज्जवरइत्थिगुम्मसद्धिं संपरिवुडे सव्वोसहिसव्वरयणसव्वसमिइसमग्गे संपुण्णमणोरहे हयामित्तमाणमहणे पुवकयतवथ्यभावनिविट्ठसंचिअफले भुंजइ माणुस्सए सुहे भरहे णामधेजे ॥ ७०॥ तए णं से भरहे राया अण्णया क्याई जेणेव मजणधरे तेणव उवागच्छइ त्ता जाव ससिव्व पिअदंसणे णरवई मजणघराओ पडिणिक्खभइ त्ता जेणेव आदसघरे जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे णिसीअइत्ता आदंसघरंसि अत्ताणं देहमाणे २ चिट्ठइ, तए णं तस्स भरहस्सरण्णो सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवाणेहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं २ ईहापोहमग्गणगवेसणं करेमाणस त्यावरणिजाणं कम्माणं खएणं कम्मयविकिरणकर अपुव्वकरणं पविट्ठस्स अणते अणुत्तरे निव्वाधाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे, समुप्पण्णे, तए णं से भरहे केवली सयमेवाभरणालंकारं ओमुअइत्ता सयमेव पंचमुद्धिअंलोअंरेइत्ता आयंसघराओपडिणिक्खमइ त्ता अंतेउरमझमझेणं णिग्गच्छइत्ता दसहिं रायवरसहस्सेहिं सद्धिं संपरिवुडे विणीअंशयहाणिं मझमझेणं णिग्गच्छइ त्तामझदेसे सुहंसुहेणं विहरइत्ता जेणेव अट्ठावा पव्वते तेणेव उवागच्छइत्ता अट्ठावयं पव्वयं सणिअं२ दुरूहइ त्ता मेघधणसण्णिकासं देवसण्णिवायं पुढवीसिलावट्टयं पडिलेहेइ त्ता संलेहणाझूसणाझूसिए भत्तपाणपडिआइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरइ, तए णं से भरहे केवली सत्तत्तरि पुव्वसयसहस्साई कुमारवासमझे वसित्ता एगं वाससहस्सं मंडलिअरायमाझे वसित्ता छ पुव्यसयसहस्साई ॥श्री जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोषित For Private And Personal Use Only
SR No.021020
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages225
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size15 MB
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