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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobarth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir |बाहुजोही बाहुप्पमही वियालचारी साहसिए अलंभोगसमत्थे आवि भविस्सइ, तए णं तंदढपइण्णंदारगंअम्मापियरो बावत्तरिकलापंडियं| जावअलंभोगसमत्थं वियाणित्ता विउलेहिं अण्णभोगेहिं पाणभोगेहिं लेणभोगेहिं वत्थभोगेहिं सयणभोगेहिं कामभोगेहिं उवणिमंतेहिति. तए णं से दढपइण्णे दारए तेहिं विउलेहिं अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सजिहिति णो रजिहिति णो गिझिहिति णो अझोववजिहिति, से जहाणामए उप्पलेइ वा पउमेइ वा कुसुमेइ वा नलिणेइ वा सुभगेइ वा सुगंधेइ वा पोंडरीएइ वा महापोंडरीएइ वा सतपत्तेइ वा सहस्सपत्तेइ वा सतसहस्सपत्तेइ वा पंके जाए जले संवुड्ढे णोवलिप्पड़ पंकरएणं णोवलिप्पइ जलरएणं एवमेव दढपइण्णेवि दारए कामेहिं जाए भोगेहिं संवुड्ढे गोवलिप्पिहिति कामरएणं गोवलिप्पिहिति भोगरएणं गोवलिप्पिहिति भित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं सेणंतहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं बुज्झिहिति त्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति, से णं भविस्सइ अणगारे भगवंते ईरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी, तस्स णं भगवंतस्स एतेणं विहारेणं विहरमाणस्स अणंते अणुत्तरे णिव्वाधाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुष्पजिहिति तए णं से दढपइण्णे केवली बहूई वासाई केवलिपरियागं पाउणिहितित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सहिँ भत्ताई अणसणाए छेएत्ता जस्सट्टाए कीरइ णग्गभावे मुंडभावे अण्हाणए अदंतवणए केसलोए बंभचेरवासे अच्छत्तकं अणोवाहणकं भूमिसेजा फलहसेज्जा कट्ठसेज्जा परघरपवेसो लद्धावलद्धं परेहि हीलणाओ खिंसणाओ णिंदणाओ गरहणाओ तालणाओ तजणाओ परिभवणाओ पव्वहणाओ उच्चावया गामकंटका बावीस ॥ औपपातिकमुपांग ।। पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021014
Book TitleAgam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages81
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size10 MB
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