SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyarmandie गाहावई परिवसइ अड्ढे जहा आण-दो नवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ निहाणपउत्ताओ अट्ठहिरण्णकोडीओ सकंसाओ वुड्डिपउत्ताओ) अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं, तस्स णं महासयगस्स रेवईपाभोक्खाओ तेरस भारियाओ होत्था अहीण जाव सुरूवाओ, तस्स णं महासयगस्स रेवईए भारियाए कोलधरियाओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ अट्ठ क्या दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था, अवसेसाणं दुवालसण्हं भारियाणं कोलरिया एगमेगा हिरण्णकोडी एगमेगे यवए दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था ॥ ४६॥ तेणं कालेणं० साभी समोसढे परिसा निग्गया जहा आणन्दो तहा निग्गच्छइ तहेव सावयधम्म पडिवजइ नवरं अट्ठ हिरणकोडीओ सकंसाओ उच्चारेइ अट्ठ वया, रेवईमोक्खाहिं तेरसहिं भारियाहिं अवसेस मेहुणाविहिं पच्चक्खाइ, सेसं सव्वं| तहेव, इमं च णं एयारुवं अभिन्गहं अभिगिण्हइकलाकलिं कप्पड़ में बेदोणियाए कंसपाईए हिरण्णभरियाए संववहरित्तए, तए णं से महासयए समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं सभणे भगवं महावीरे बहिया जणवयविहारं विहर। ४७तए णं तीसे रेवईए गाहावइणीए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुम्ब जाव इमेयारुवे अझथिए० एवं खलु अहं इमासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं विधाएणं नो संचाएमि महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई माणुस्सयाई भोगभोगगाई भुजमाणी विहरित्तए तं सेयं खलु ममं एयाओ दुवालसवि सवत्तियाओ अग्गिप्पओगेण वा सत्थपओगेण वा विसप्पओगेण वा जीवियाओ ववरोवित्ता एयासिं एगमेगं हिरण्णकोडिं एगमेगं वयं च सयमेव उवसम्पजिताणं महासयएणं सभणोवासएणं सद्धिं उरालाई जाव विहरित्तए, एवं | ॥आसकदशांग सूत्र॥ [पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy