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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandie जहेयं तुब्भे वयह जहाणं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे उग्गा भोगा जाव पव्वइया नो खलु अहं संचाएमि देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डा भवित्ता जाव अहण्णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिज्जामि, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबन्धं करेह, तए णंसा अग्गिभित्ता भारिया.समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवजइ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरूहइ त्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसंपडिगया, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई पोलासपुराओ नयराओ सहस्सम्बवणाओ० पडिनिगच्छइ (प्र० पडिनिक्खभइ) त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ। ४३। तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्धढे समाणे० एवं खलु सद्दालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं निग्गथाणं दिहिँ पडिवन्ने तं गच्छामिणंसद्दालपुत्तं आजीविओवासयंसभणाणं निग्गंथाणं दिढेि वामेत्ता पुणरविआजीवियदिढेि गेण्हावित्तएत्तिकट्ट एवं सम्मेहेइ त्ता आजीवियसङ्घसम्परिवुडे जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव आजीवियसभा तेणेव उवागच्छ३ त्ता आजीवियसभाए भण्डगनिक्खेवं करेइ त्ता कइवएहिं आजीविएहिं सद्धिं जेणेव सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, तए णं से सदालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एज्जमाणं पासइ त्ता नो आढाइ नो परिजाणइ अणादायमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए संचिटुइ, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं अगाढाइजमाणे अपरिजाणिजमाणे पीठफलगसेज्जासंथारट्टाए समणस्स | उपासकदशांग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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