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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir |एगेणं सुद्धपउमेणं मालइकुसुमदामेण वा. अवसेसं पुष्कविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ ननत्थ मट्ठकण्णेजएहिं नाममुद्दए य, अवसेसं आभरणाविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ अगरुतुरुक्कंधूवमाइएहिं , अवसेसं धूवणविहिं पच्चक्खामि०, तयाण-तरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे पेजविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य एगाए कट्टपेज्जाए, अवसेसं पेजविहिं पच्चक्खामि०, त्याणन्तरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेहिं ध्यपुण्णेहि खण्डखजएहिं वा, अवसेसं भक्खविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं ओयणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य कलमसालिओदणेणं, अवसेसं ओयणविहिं पच्चक्खामि०, त्याणन्तरं च णं सूवविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य कलायसूवेण वा मुग्गसूवेण वा माससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं ध्यविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ सारइएणं गोधयमण्डेण, अवसेसं घयविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणंसागविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य वत्थु(प्र० वुपु )साएणवा चूच्चुसाएणवा तुंबसाएणवा सुत्थ्यिसाएण वा मण्डुक्लियसाएणवा, अवसेसं सागविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं माहुरयविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य एगेणं पालङ्गगामाहुरएणं, अवसेसं माहुरयविहिं पच्चक्खामि०, त्याणन्तरं च णं जेणमविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ, सेहंबदालियंबेहिं, अवसेसं जेमणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं पाणियविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य एगेणं अन्तलिक्खोदएणं, अवसेसं पाणियविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं मुहवासविहिपरिमाणं रेइनन्नत्थ एगेणं पञ्चसोगन्धिएणं तम्बोलेणं, अवसेसं मुहवासविहिं पच्चक्खामि०, त्याणन्तरं ॥ ॥ उपासकदशांग सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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