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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir |एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसिंणं गोयमा! दोण्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादिए जाव पडिरूवे कयरे पुरिसे नो पासादीए|| जाव नो पडिरुवे जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए?, भगवं! तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ्णं जे से पुरिसे अणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादिए जाव नो पडिरूवे से तेणटेणं जाव नो पडिरूवे, दो भंते! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव, एवं जावणियकुमारा, वाणमंतरजोतिसियवेमाणिया एवं चेव । ६२७। दो भंते! नेरतिया एगंसि नेरतियावासंसि नेरतियत्ताए उववत्रा, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव एगे नेरइए अपकम्मतराए चेव जाव अपवेयणतराए चेव, से कहमेयं भंते! एवं ?, गोयमा! नेरइया दुविहा पं० तं०-मायिभिच्छादिट्ठिउववनगा य अमायिसम्मदिहिउववनगा य, तत्थ णं जे से मायिभिच्छादिट्ठिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, तत्थ णं जे से अमाथिसम्भदिट्ठिउववन्नए नेरइए से णं अप्पकमतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव, दो भंते! असुरकुमारा० एवं चेव, एवं एगिंदियवजा जाव वेमाणिया । ६२८। नेरइए णं भंते! अणंतरं उववट्टित्ता जे भविए) पंचिंदियतिरिक्खजोणिसु उववजित्तए से णं भंते! क्या आउयं पडिसंवेदेति?, गोयमा! नेरइयाउयं पडिसंवेदेति पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरओकडे चिट्ठति, एवं णणुस्सेसुवि, नवरं मणुस्साउए से पुरओकडे चिट्ठइ, असुरकुमारा णं भंते! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पुढवीकाइएसु उववज्जित्तए पुच्छी, गो०! असुरकुमाराउयं पजिसंवेदेति पुढवीकाइयाउए से पुरओकडे | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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