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हंता जाणइ पासइ, जहा णं भंते! केवली इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेऽवि इमं रयणप्पभं पुढविं रयणष्पभापुढवीति जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते! सक्करपभापुढविं सक्करपभापुढवीति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं जाव अहेसत्तमा, केवली णं भंते! सोहम्मं कष्णं सोहम्मकप्पेति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं ईसाणं, एवं जाव अच्चुयं, केवली णं भंते! गेवेज्जविमाणं गेविजविमाणेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेऽवि, केवली णं भंते! ईसिपम्भारं पुढविं ईसीपब्भारपुढवीत जाणइ पासइ ?, एवं चेव, केवली णं भंते! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं दुपएसियं खंधं० एवं जाव जहा णं भंते! केवली अनंतपएसियं खंधं अनंतपएसिए खंधेत्ति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेऽवि अनंतपएसिय जाव पासइ ?, हंता जाणइ पासइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! १५३८ ॥ ३० १० इति चतुर्दशं शतकं ॥
नमो सुदेवीए भगवईए, तेणं कालेणं० सावत्थी नामं नगरी होत्था वन्नओ, तीसे णं सावत्थीए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं कोट्ठए नामं चेइए होत्था वन्नओ, तत्थ णं सावत्थीए नगरीए हालाहला नामं कुंभकारी आजीविओवासिया परिवसति अड्ढा जाव अपरिभूया आजीवियसमयंसि लद्धट्टा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिंजपे म्माणुरागरत्ता अयमाउसो आजीवियसमये अट्ठे अयं परमट्ठे सेसे अणद्वेत्ति आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणी विहर, तेणं कालेणं० गोसाले मंखलिपुत्ते चउव्वीसवासपरियाए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरड़,
॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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