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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दाहिण-वामंगठिओ नर-नारिंगणोऽभिवंदए देवे। उक्किट्ठ सट्ठिहत्थुग्गहेण जहण्णेण करनवगं ॥ १५ ॥ साहूण सत्त वारा होइ अहोरत्तमज्झयारम्मि । गिहिणो पुण चिइवंदण तिय पंच व सत्त वा वारा ॥१६॥ पडिक्कमणे(ण?)चेईयहरे भोयणसमयम्मि तह य संवरणे । पडिक्कमण सुयण पडिबोहकालियं सत्तहा जइणो ॥ १७ ॥ अट्ठ -58-नव-58 य अट्ठवीस सोलस य वीस वीसामा। मंगल-इरियावहिया-सक्कत्थयपमुहदंडेसु ॥१८॥ अट्ठव संपयाओ, नव य पयाई, च पंच अहिगारा । छ दुगुण सेस लहूआ नवकारे वण्ण अडसट्ठी ॥ १९ ॥ दुग दुग चउरो सत्त य एगं पंचेव दस य एगं च । इरियावहियापयसंपयाओ बत्तीससंखाओ ॥ २० ॥ इच्छ, गम, पाण, ओसा, जे मे, एगिदि, अभिहया, तस्स । इरियाविस्सामेसुं पढमपया हुंति नायव्वा ॥ २१ ॥ तिण्णि सया तेयाला ३४३ इरियावहियाइ वण्णपरिसंखा। सव्वे वि मेलिया पुण काउस्सगेण सहियाओ ॥ २२ ॥ दो तिण्णि चउर पंच य पंच य पंचेव दुण्णि चउ तिण्णि । संपयनवगम्मि कमा तित्तीस पयाई सक्कथए ॥ २३॥ अरिहं आइग पुरिसो लोगो-ऽभय धम्म अप्प जिण सव्वं । सकत्थयसंपयाणं पढमं उ लिंगणाइपयं ॥२४॥ दुग छग सत्तग नवगं तिग छग चउरो छगं च वीसामा । अरिहंतचेईयाण य आलावा हुंति तेयाला ॥ २५ ॥ अरिहं, वंदण, सद्धा ,अण्णत्थ, सुहुम, एव, जा, ताव, । अरिहंतचेइयथए वीसामाणं पया पढमा ॥ २६ ॥ ૧૪૯ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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