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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org जम्हा चित्ताईया जीवस्स गुणा हवंति पच्चक्खा । गुणपच्चक्खत्तणओ घडु व्व जीवा अओ अत्थि लोइआ वेइआ चेव तहा सामाइआ विऊ | निच्चो जीवो पिहो देहा इति सव्वे ववद्विआ लोए अच्छिज्ज अभिज्जो वेए स पुरीसदड्ड य सियालो । समए अहमासिगओ तिविहो दिव्वाइसंसारो लोए वे समए निच्चो जीवो विभासया अम्हं । इरा संसाराई सव्वं पि न जुज्जए तस्स जह आहारो भुत्तो आिण परिणमइ सत्तएहिं । वससोणिअमंसट्ठियमज्जा तह मेयसुक्के य एवं अट्ठविहं पिय जीवेण अणाइसहयं कम्मं । जह कणगं पाहाणे अणाइसंजोगनिष्फण्णं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवस्स य कम्मस्स य अणाइमं चेव होइ संजोगो । सो वि उवाएण पुढो कीरइ उवलाओं जह कणयं किं पुव्वयरं कम्मं जीवो वा इत्थ कोइ पुच्छिज्जा । सो वत्व्व कुक्कुड- अंडाणं भणसु को पढमो जह अंडसंभवा कुक्कुडि त्ति अंडं पि कुक्कुडीइ भवं । न य पुव्वावरभावो जहेह तह कम्म- जीवाणं जह कणगस्स उ कीरंति पज्जवा मउडकुंडलाईआ । दव्वं कणगं तं चिय नामविसेसो अ सो अण्णो एवं चउग्गईए परिब्भमंतस्स जीवकणगस्स । नामाई बहुविहारं जीवं दव्वं तयं चेव पच्चक्खं गहगहिओ दीसइ पुरिसो न दीसइ पिसाओ । आगारेहिं मुणिज्जइ एवं जीवो वि देहट्ठिओ ૧૪૨ For Private And Personal Use Only ॥ २४ ॥ ।। २५ ।। ॥ २६ ॥ ॥ २७ ॥ ॥ २८ ॥ ॥ २९ ॥ ॥ ३० ॥ ॥ ३१ ॥ ॥ ३२ ॥ ॥ ३३ ॥ ॥ ३४ ॥ ॥ ३५ ॥
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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