SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || १४ ॥ बाहडमेरुं माणं, चुप्पडपल दुण्णि असणण्हाणहाणेसु । खाइमपलाण असीई, घडग दुगं होइ मह पाणे ॥ १२ ॥ पण्णास पत्तपुप्फल, दसगं पल पंच साइमे सयले। विगइ चउ दव्व चत्तालीसा सच्चित्तसत्ताई ॥१३॥ अंगोहलिया दुण्णि य, पइदिवसं घडदुगेण य जलस्स । दोण्हाणा भोगत्थ, मासे जलघड चउक्केण दस ओगाहिम पंच य, पाणादिव सय तेमणा वीसं । भोगाणं विससयं, परिभोगाणं च सट्ठिसयं |॥ १५ ॥ अत्थाणयस्समिय मे, वेसो दम्माण असियसय संतो। चालीसं गहियाणा, आभरणे तह सुवण्णस्स ॥ १६ ॥ अट्टमि चउदसि-गारसि, पणजिणकल्लाणदिवसमज्झम्मि । विगइतिग बियासणयं, इगासणं वरिस चउमासे ॥ १७॥ अरिमरणपुरवहाई, मुहुत्त पुरओवए अ बज्झाणं । तह सव्व जूय-दोला-जलकीला-जीवजुज्झाई ॥ १८॥ कंदप्पदप्पनिट्ठीवणाइ सुयणं चउब्विहाहारं । सजिण-जिणमंडवं तो, विकहं कसहं च जयणाए ॥ १९ ॥ सत्थग्गि-मुसल-हल-जंतगाइ दक्खिण्णकारणे देमि । पावुवएसं च तहा, करिसण-गोणाइ दमणाई ॥ २० ॥ सामाइय-पडिकमणे, सट्ठी कहं सया वि भासंतो। जलथलपहेसु दिवसे, वीसं दस जोयणा जामि ॥ २१ ॥ काले नियगेहागय-सुविहियसाहूण दाउ भुंजिस्सं । जिणचेइए य पूइय, सइ सवित्तो दव्वपूयाए ॥ २२ ॥ पणजिणकल्लाणदिणे, पूयं सविसेसयं करिस्सामि । कप्पइ कोडीसत्तउ रंगवणे सेस मह नियमो ॥ २३॥ १४3 For Private And Personal Use Only
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy