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________________ Shri Mahawan Aradhana Kendra Acharya Sh Kalassagarsun Gyarmandir व्याख्या प्राप्ति // 899 // दियाए देवीए मज्झमज्झेण वीइचएज्जा, णो इणढे समहे, काहे भगवन ! महर्दिक-महाशक्तिवाळो देव अल्पशक्तिवाला देवनी बचोवच थईने जाय ? उहा . गौतम! जाय. १.शतः [प्र०] हे भगवन् ! ते महर्द्धिक देव शु ते अल्पशक्तिवाला देवने विमोह पमाडीने जइ शके के विमोह पमाड्या विना जई शके 151 उद्देशा३ [उ०] हे गौतम ! विमोह पमाडीने पण जइ शके अने विमोह पमाझ्या विना पण जइ शके. [40] हे भगवन् ! ते महर्द्धिक देव // 4991 शुं पूर्वे विमोह पमाडीने पछी जाय के पूर्व जाय अने पछी विमोह पमाडे ! [उ०] हे गौतम ! ते महद्धिक देव पहेलां विमोह पमाडीने पछी जय, के पहेला जइने पछी विमोह पमाडे, [प्र०] हे भगवन् ! अल्पशक्तिबाळो असुरकुमार महाशक्तिवाळा असुरकुमारनी बचोचच थइने जइ शके ? [उ०] हे गौतम ! आ अर्थ योग्य नथी. ए प्रमाणे सामान्य देवनी पेठे अमुरकुमारना पण त्रण आलापक कहेवा. ए प्रमाणे यावत स्तनितकुमार सुधी कहेवं. तथा वानव्यंतर, ज्योतिष्क अने वैमानिक देवोने पण ए प्रमाणे कहे. [प्र०] हे भगवन् ! अल्पशक्तिवाळो देव महाशक्तिवाळी देवीनी वचोवच थइने जाय ? [उ०] हे गौतम ! ए अर्थ योग्य नी; अर्थात् न जाय. समडिए ण भंते ! देवीए मज्झमज्झणं एवं तहेव देवेण य देवीण य दंडओ भाणियन्बो जाव वेमाणियाण अप्पड्डिया णं भंते ! देवी महड्डीयस्स देवस्स मज्झममज्झेणं एवं एसोवि तहओ दंडओ भाणियब्बोजाव महड्डिया माणिणी अप्पड्डियरस वेमाणियस्स मज्झमझेणं बीइवएज्जा, हता वीइवएज्जा। अप्पड्डिया णं भंते! देवी महिड्डीयाए देवीए मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा?, णो इणढे समढे, एवं समड्डिया देवी समड्डियाए देवीए, तहेव, महड्डियावि देवी अप्पड्डियाए देवीए तहेव, एवं एकेके तिन्नि२ आलावगा भाणियवा जाव महड्ढीया णं भंते ! वेमा རི་ཆུཏྟཅུ ཙཅུ སན ཎ༥ ་ཏཱའི་ For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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