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________________ Shri Mahavw Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandir A प्राप्ति Mess RTHACK प्रत्यनीक, कुलप्रत्यनीक, गणप्रत्यनीक अने संघना प्रत्यनीक होय, तथा आचार्य अने उपाध्यायना अयश करनारा, अवर्णवाद कर || नारा, अने अकीर्ति करनारा होय, तथा घणा असत्य अर्थने प्रगट करवाथी अने मिथ्या कदाग्रहथी पोताने, परने अने बनेने भ्रान्त 9 शतके करता, दुर्बोध करता, घणा वरस सुधी साधुपणाने पाळे, अने पाळीने ते अकार्य स्थाननु आलोचन के प्रतिक्रमण कर्या सिवाय | उद्देश मरणसमये काल करीने कोइ पण किल्विपिक देवोमा किल्बिषिकदेवपणे उत्पन्न थाय छे.ते आ प्रमाणे-त्रण पल्योपमनी स्थिति- // 879 // वाळामां, के तेर सागरोपमनी स्थितिवाळामा. (उत्पत्र थाय.) देवकिब्विसियाण भंते! साओ देवलोगाओ आउक्खरणं भवस्वएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ?, गोयमा। जाव चत्तारि पंच नेरइयतिरिक्वजोणियमणुस्मदेवभवग्गहणाई संसारं अणुपरियट्टित्ता तओ पच्छा सिझंति बुज्झंति जाव अंतं करेंति, अस्थेगइया अणादीय अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियति / / जमाली ण भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे लूहाहारे तुच्छाहारे अरमजीवी विरसजीवी जाच तुच्छजीची उवसंतजीची पसंतजीवी विवित्तजीवी ?, हंता गोयमा! जमाली ण अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी / जति ण भंत! जमाली अणगारे अरसाहारे विरसाहारे जाच विवित्तजीवी कम्हा ण भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोदमट्ठितिएसु देवकिब्विसिएम देवेसु देवकिग्विसियत्ताए उववन्ने ?, गोयमा! जमाली णं अणगारे आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए आयरियउवज्झायाणं अयसकारण जाव वुप्पाएमाणे जाव बहूई पासाई सामनपरि For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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