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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir व्याख्याप्रज्ञप्तिः 1043 // SN SHRESTHA भाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक पंचप्रदेशिक स्कंध थाय, अथवा एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध है। अने एक तरफ एक चतुष्पदेशिक स्कंध थाय, अथवा बे त्रिप्रदेशिक स्कंधो थाय. जो तेना त्रण भाग थाय तो एक तरफ जुदा १२शतके जुदा बे परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक चतुष्पदेशिक स्कंध थाय. अथवा एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, एक तरफ एक द्विग्र-18 उद्देशः४ देशिक स्कंध अने त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. अथवा ऋण द्विप्रदेशिक स्कंधो थाय. जो तेना चार भाग थाय तो एक तरफ जुदा त्रण 5 // 1043 // परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. अथवा एक तरफ वे परमाणुयुद्गलो अने एक तरफ द्विप्रदेशिक वे स्कंधो थाय, जो तेना पांच भाग थाय तो एक तरफ चार परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेना छ भाग थाय तो जुदा जुदा छ परमाणुपुद्गगलो थाय, सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा! सत्तपासिए खधे भवइ, से भिन्जमाणे दुहावि जाव सत्तहावि कजइ, दुहा कलमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ छप्पपसिए बंधे भवइ अहवा एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ एगयओ पंचपसिए खंधे भवइ अहवाएगयओ तिप्पएसिए एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ, तिहा कन्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ दुपएसिए खंधे एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवाएगयओ परमाणु पगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति एगयओ तिपएसिए खंधे भवति, चउहा कज़माणे पगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला एगयओ चड़प्पएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगयओ दुपएसिए SISTER- HESAR For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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