SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 206
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyarmandie १२शव व्याख्याप्रज्ञप्तिः उदेश // 10415 1042 // [प्र.] राजगृह नगरमां यावद्-आ प्रमाणे पूछयु-हे भगवन् ! वे परमाणुओ एकरूपे एकठा थाय, अने एकरूपे एकठा थइने पछी तेनु शुं थाय ! [उ०] दे गौतन! तेनो द्विप्रदेशिक स्कंध थाय, अने जो तेनो मेद थाय तो तेना वे विभाग थाय-एक तरफ |एक परमाणुपुद्गल रहे, अने वीजी तरफ एक (चीजो) परमाणुपुद्गल रहे. [प्र.] हे भगवन् ! त्रण परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय ! अने एकठा थईने तेनु शु थाय ? [उ०] हे गौतम! तेनो त्रिप्रदेशिक स्कंध थाय. जो तेनो भेद-वियोग थाय तो तेना वे के त्रण विभाग थाय, जो वे विभाग थाय तो एक तरफ एक परमाणुपुद्गल, अने बीजी तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. तथा जो तेना त्रण विभाग थाय तो त्रण परमाणुपुद्गल रहे. [म०] हे भगवन् ! चार परमाणुपुद्गलो एकरूपे एकठा थाय ?-इत्यादि प्रश्न. [उ.] हे गौतम ! चतुष्पदेशिक स्कंध थाय, अने जो ते स्कंधनो भेद थाय तो तेना , त्रण अने चार भाग थाय. जो वे भाग थाय तो एक * तरफ एक परमाणुपुद्गल अने एक तरफ एक त्रिप्रदेशिक स्कंध रहे. अथवा वे द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. जो त्रण भाग थाय तो एक तरफ बे छुटा परमाणुपुद्गलो अने एक तरफ एक द्विप्रदेशिक स्कंध रहे. जो चार भाग थाय तो जूदा चार परमाणुपुद्गल रहे. 21 पंच भंते! परमाणुपोग्गला पुच्छा, गोयमा! पंचपएसिए खंधे भवह,से मिजमाणे दुहावि तिहावि चउहावि *पंचहावि कजइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले एगयओ चउपएसिए खंधे भवइ अहवा एगयओ दुपए. सिए स्वंधे भवति एगयो तिपासिए खंधे भवइ, तिहा कजमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला एगपओ तिप्पए| सिए खंधे भवति अहवा एगपओ परमाणुपोग्गले एगयओ दो दुपएसिया बंधा भवंति, चउहा कन्जमाणे एगपओ तिनि परमाणुपोग्गला एगयओ दुप्पएसिप खंधे भवति, पंचहा कन्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति / उन्भते! द For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy