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________________ Shri Mahawan Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyanmandir पाल्पा- प्राप्ति भगवंता उप्पन्ननाणदंसणधरा जहा खंदए जाव सबन्नू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरंति, जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिण जाव गुत्तभचारी एए गं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति, जे १२शतके इमे समणोषासगा अभिगयजीवाजीवा जाव विहरन्ति एते णं सुदक्खुजागरियं जागरिंति, से तेंणद्वेणं गोयमा! उद्देशार |एवं बुचा तिविहा जागरिया जाव सुदक्खुजागरिया (सूत्रं 469) // 1028 प्रि०] 'भगवन् !ए प्रमाणे कही भगवान् गौतम श्रमण भगवंत महावीरने बांदे छे, नमे के, बांदी अने नमी तेणे आ प्रमाणे को-'हे भगवन् ! जागरिका केटला प्रकारनी कही छे ? [उ०] हे गौतम! जागरिका त्रण प्रकारनी कही छे, ते आ प्रमाणे-१ बुद्धजागरिका, 2 अबुद्धजागरिका अने 3 सुदर्शनजागरिका. [40] हे भगवन् ! तमे ए प्रमाणे शा हेतुथी कहो छो के 'जागरिका व्रण प्रकारनी छे, ते आ प्रमाणे-बुद्धजामरिका, अबुद्धजागरिका अने सुदर्शनजागरिका' 1 [उ.] हे गौतम ! जे उत्पन्न थयेला ज्ञान अने दर्शनना धारण करनारा आ अरिहंत भगवंतो डे-इत्यादि स्कंदकना अधिकारमा कह्या प्रमाणे सर्वज्ञ अने सर्वदर्षी हे-ए युद्धो (केवलज्ञानवडे) बुद्धजागरिका जागे के. जे आ भगवंत अनगारो ईयर्यासमितियुक्त, भाषासमितियुक्त अने यावत् गुप्त ब्रह्मचारी छे, तेओ (केवलज्ञानी नहि होवाथी) अबुद्ध के अने तेओ अबुद्धजागरिका जागे छे. तथा जे आ श्रमणोपासको जीवाजीवने जाण-12 नारा छे, यावत् तेओ (सम्यग्दर्शनी होवाथी) सुदर्शनजामरिका जागे छे. माटे ते हेतुथी हे गौतम! ए प्रमाणे काहे के जाग-१ रिका त्रण प्रकारनी छे, यावत् सुदर्शनजागरिका के. // 439 // तए णं से संखे समणोवासए समण भ० महावीरं वदह नम०२ एवं बयासी-कोहवसट्टे णं भंते! जीवे | For Private and Personal use only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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