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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra तेईस 'प्रातिपदिकार्थनिरूपण' नाम दिया गया है । पलम० में 'दशलकारादेशार्था: प्रकरण के पश्चात् कारकों के अर्थ के विषय में विचार किया गया है । उसके बाद नामार्थ का प्रकरण मिलता है । पलम० का नामार्थविचार पूरा का पूरा वैभूसा० के 'नामार्थः ' का लगभग अक्षरशः संक्षेप प्रतीत होता है । सातवें प्रकरण में वैसिम० तथा लम० दोनों में कारकों के अर्थ के विषय में विचार है तथा इस प्रकरण को 'सुबर्थनिर्णय' नाम दिया गया है। पलम० में पहले कारकों के विषय में विचार करके फिर 'नामार्थ' प्रकरण को प्रस्तुत किया गया है । आठवें प्रकरण में वैसिम० में समासशक्ति, क्यजाद्यर्थ तथा तद्धितार्थ का निरूपण मिलता है । वैसिम० का प्रथम भाग, जिसे 'वर्णस्फोटसामान्यनिरूपण' नाम दिया गया है, यहाँ समाप्त होता है । लम० में इस प्रकरण का नाम 'वृत्तिविचार' है तथा इसमें एकार्थीभाव, सामान्य समास, अव्ययीभाव तत्पुरुष, बहुव्रीहि, द्वन्द्व, एकशेष, क्यजाद्यन्त, तद्धित, वीप्सा - वृत्ति के इन सभी भेदो — के विषय में विचार करते हुए लम० के ग्रन्थ को समाप्त कर दिया गया है । पलम० में इस प्रकरण का नाम 'समासादिवृत्त्यर्थ' है तथा उसमें एकार्थीभाव और व्यपेक्षा, वृत्ति के केवल इन दो भेदों, के विषय में विस्तार से विचार किया गया है । पर यह सारा विचार वैभूसा० के 'समासशक्ति निर्णय' का ही प्रायः प्रतिलिपि मात्र है । क्रम संख्या वैसिम ० १. ० सिम में इसके बाद तीन प्रकरणों में क्रमशः सखण्डपदवाक्यस्फोट, अखण्डपदवाक्यस्फोट तथा जातिस्फोट पर विचार किया गया है और तब 'इति जातिस्फोटनिर्णय:' इस कथन के साथ वैसिम० का परिसमापन हुआ है । लम० तथा पलम० में ये प्रकरण नहीं है, यों इन में प्रतिपादित विषय लम० तथा पलम० में अन्यत्र अलग अलग संक्षिप्त रूपों में प्राप्त हो जाते हैं । इन तीनों ग्रन्थों में विचारित विषयों की प्रकरण तालिका इस प्रकार है :-- ३. ४. ५. ६. ७. ८. www.kobatirth.org वर्णस्फोटसामान्य निरूपणम् शक्तिनिरूपणम् लक्षणानिरूपणम् व्यञ्जनानिरूपणम् X X X X धात्वर्थनिपातार्थनिर्णयः तिङर्थनिरूपणम् वैसिलम ० X X वाच्यवाचकशक्तीनां निर्णय: लक्षणानिरूपणम् व्यञ्जनानिरूपणम् Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्फोटनिरूपणम् आकांक्षा-योग्यता आसत्ति- तात्पर्य विचार: घात्वर्थनिरूपणम् निपातार्थनिरूपणम् तिङर्थनिरूपणम् For Private and Personal Use Only वैसिपलम ० X X शक्तिनिरूपणम् लक्षरणा निरूपणम् व्यञ्जनानिरूपणम् स्फोट निरूपणम् आकांक्षा-योग्यता प्रासत्ति-तात्पर्य विचार: धात्वर्थनिर्णयः निपातार्थनिर्णयः दशलकारादेशार्था:
SR No.020919
Book TitleVyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagesh Bhatt, Kapildev Shastri
PublisherKurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
Publication Year1975
Total Pages518
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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