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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका व्याकरण-दर्शन : स्वरूप, प्रतिपाद्य विषय एवं परम्परा 'दर्शन' शब्द का मौलिक अभिप्राय -- 'दर्शन' शब्द का मौलिक अर्थ है दृष्टि, जिसके द्वारा देखा जाय । पर यह सामान्य दृष्टि न होकर, विशेष, असाधारण अथवा दिव्य दृष्टि है। चर्म चक्षुत्रों से दिखाई देने वाले अथवा सभी ज्ञानेन्द्रियों द्वारा अनुभूत होने वाले बाह्य एवं स्थूल रूपों, भावों, व्यापारों, क्रियाओं तथा चेष्टाओं को क्षणिक एवं असत्य मानते हुए उनसे ऊपर उठ कर अतिमानस अथवा दिव्य दृष्टि से विश्व में प्रोत प्रोत अनिर्वचनीय विश्वात्मा का सतत दर्शन करना (उसके सान्निध्य, सायुज्य एवं साहचर्य में रहना) ही 'दर्शन' शब्द का प्रमुख तथा प्राचीन अर्थ प्रतीत होता है । इस विशिष्ट दृष्टि से अनुभूत प्राध्यात्मिक ज्ञान को भी 'दर्शन' कहा जाता है । इस दिव्य दर्शन (दृष्टि) की सर्वप्रथम उपलब्धि हुई थी वैदिक ऋषियों को जिनके अतिमानस में वैदिक ऋचाओं का स्वतः स्फुरण हुआ था। इस तथ्य के उपोद्वलक अनन्त प्रमाण वेदों, ब्राह्मणों, आरण्यकों, उपनिषदों तथा अन्य प्राचीन आध्यात्मिक ग्रन्थों में स्पष्टतः उल्लिखित अथवा संकेतित मिलते हैं । उदाहरण के लिये निम्नलिखित मन्त्रांश द्रष्टव्य हैं :तद् विष्णोः परमं पदं सदा पश्यन्ति सूरयः । (ऋग्वेद १.२२.२०) _ विष्णु के उस परम पद को (सर्वोत्कृष्ट रूप को) विद्वान् अथवा ज्ञानी सदा देखते रहते हैं। तद् अपश्यत्, तद् अभवत् तत् प्रासीत् । (यजुर्वेद ३२.१२) ऋषि ने उस परम तत्त्व को देखा, (देखकर) उससे अभिन्न हो गया, (वस्तुतः) वह उससे अभिन्न ही था। वेनस्तत् पश्यत् परमं गुहा यद् यत्र विश्वम् भवत्येकरूपम् । (अथर्ववेद २.१.१) तुलना करो-गीता ११.८; न तु मां शक्यसे द्रष्टुमनेनैव स्वचक्षुषा। दिव्यं ददामि ते चक्षुः पश्य मे योगमेश्वरम् । वाप०-१.१६; वैकृतं समतिक्रान्ता मूर्तिव्यापारदर्शनम् । व्यतीत्यालोकतमसी प्रकाशं यमुपासते ॥ तुलना करो-- यजुर्वेद ३२.८; वेनस्तत्पश्यन्निहितं गुहा सद् यत्र विश्वम्भवत्येकनीडम् । १. For Private and Personal Use Only
SR No.020919
Book TitleVyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagesh Bhatt, Kapildev Shastri
PublisherKurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
Publication Year1975
Total Pages518
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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