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________________ ( १३७ ). मारोमान खंणकरबा हरीये आरचनाकीधी पण शंतोखरो जेहरीने पगेलगाई एमविचारी जिनरा जने त्रणप्रदक्षिणाकरी बांदी ऋहिने राज्यत्यागी ने तिहांजदीकालीधी तारे इंद्रेआवी बांधोने कह्यो एम्हारामां शक्तिनथी तमेधन्यको तमेमानकस्यो ते प्रमाण के ॥१॥ चार प्रत्येकबुछ तेमां नमीराजानीकथा आगल कही वाकीत्रणनी कथा तेमां करकंडुराजानी कथा, चंपानगरीये दधिवाहन राजानी पदमावती राणी गर्भवती थई दोहलो ऊपनो जेराजानो वेशकरी हाथी परवेझं ने राजापूठे छत्रधरे तेरीतवेशीने वनक्रीडाकरवा निकल्या तिहांवांथई मेघगरज्या हाथ चमकीन राजा तथाराणीने लेईजाग्यो अट वीमागया तारे राजाये राणीनेकह्यो जेशावृदने रुपकळू तपण पकड हाथीने जावादे एमकही राजाये झारपकी राणी पकडीनही सकी राजा तिहां रहीगयो हाथी लेईनाग्या वीजेदिने हाथी प्यासोथई तलावपर उन्नोरहयो राणी हाथीपरथी उतरीपझी एकवदनातले बेठी ८१००००० जीवा जोनीखमावी अठार पापस्थानकादिक सर्व खमत खम गाकख्या चार सरण लेईबेठी अवलानो जीव अनेक जनावरोनो सोर परंतु शीलनाप्रनावें उप द्रवथयो नही एहवामां एकतापसनो शानमदीठो तिहांगई तापसेपूबी इणोकहो ांचेका राजानी - -- -- - -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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