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________________ - - - तारे कह्यो रेदुष्ट बीजो पगराखवा जागाआप तारे थरथर कांपवालाग्यो मुनिये माथापरमूंकी पाता लगत कस्यो मरीने नरकेगयो मुनीनोक्रोध चकीये शांतकीधो मुनीपाबा गया चक्रीवैरागपामी दी दालेई मोदे गया ॥ ८॥ ॥ दशमां हरिषेण चक्रोनीकथा, कांपिलपुरे हरप्रि यराजानी मैलारानीनकखें हरिषेण चक्रीजन्म्यो षट्खंफनोगी दीदालेई संजमपाली मोगया ॥ ९॥ग्यारमां जयचक्रीनी कथा, राज गृहनो समुद्र विजयराजानी मैनारानीने कंखे जयचक्रीजन्मी षट् खफनोगी अंतंदीदालेई मोदेगया ॥ १०॥ यारमांचक्री ब्रह्मदत्ततेहनीकथा कहीगई ने प्रा ठमी सुभूमचक्रीनी कथा आवीनही ॥ ॥ दशार्ण नद्रराजा घणोलस्कर लेई श्रीमहावीर स्वामीने वांदवााच्यो पणमनमा अहंकारलाध्यो जेएमऋठिथी कोईवांदवा आव्योनहीशे तेशहंका र उतारवाने इंद्रे रचना कीधी ६४००० हाथी एकएक हाथीना ५१२मुखकस्या एकएकमुखे आठ२ वावकरी एक २ वावबिच आठ २ कमल एक २ कमलनी १००००० पाखसीकरी एक २ पाखकीये आठ अग्रमहिषी नाटक करे ने कमलबीचे सिंहा सने इंद्रबेठो कलइंद्रना रूप १६७७७२१६००० थयाइंद्राणीनारूप१३३७०५७२८०००००००० थया एहवी ऋछिइंद्रनी देखी दशार्ण नद्रबिचायो -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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