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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३६) खुशी तया सफलता से पूर्ण होंगे क्योंकि आप हिन्दु धर्म के कुशल प्रतिनिधि हैं। हा प्रार अन्त में हम चाहते हैं कि आप की यात्रा सफल हो। और श्राप के कार्यों में विजयहो । अमेरिका में आर्य धर्म का पष्ट वृत्त बोकर आनंद सहित भारत को वापिस लौटो । भवदीय मित्र और कार्यों के अनुमोदकः बम्बई । सभापति मा० २३ सितम्बर१८८६ महादेव गोविन्द रानाडे । इसके पश्चात् सभापति आनरेबल मिस्टर रानाडे ने खड़े होकर कहना प्रारम्भ किया। उनके खड़ा होने पर सभा में तालियां बजीं। आपने कहा कि मिस्टर गांधी ने हिन्दुस्तानकी सेवा अमेरिका में की है, उसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं। अपने हिन्दुधर्म को इंगलैंड और अमेरिका में फैलाने के लिये मि० गांधी एक आदर्श ( Model ) हैं मि. गांधी ने जो परिश्रम किया है उसका फल वे अथवा हमको प्राप्त नहीं होगा। इस परिश्रम के उत्तम फल का लाभ हिन्दु धर्मको प्रसार होने पर आगे की संतान उठायेगी । मि. गांधी जैसे उत्साही युवा गृहस्थ जैन जाति में हैं इससे जैन जाति का गौरव और भी बढ़ गया है। मि० गांधी की और उनके अनुकरण करनेवाले दूसरे गृहस्थों की मैं विजय कामना करता हूं। उन्हों ने हमारे लिये जो परिश्रम किया है उसके लिये मैं उनका उपकार मानता ॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020902
Book TitleVirchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamlal Vaishya Murar
PublisherJainilal Press
Publication Year1919
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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