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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir है। इसी कारण, प्यारे वंधु, हमारे हृदयों में आपके प्रति पान और भाभार ने स्थायी स्थान प्राप्त कर लिया है। मांसाहारियों को आपने बनस्पति भोजन के लाभ बता कर हिन्दुभोजन की ओर प्रकृति की, उसके लिये भी हम भाप का आभार मानते हैं। साथही पड़ी उत्तमता से आपने "अहिंसा परमोधर्मः" के महान तत्व का प्रचार किया। भारत की रीति और नीति के विषय में अमेरिकन मिसिनरियों द्वारा फैलाई हुई घणित किम्बदन्तियों का आपने खंडन किया, भारत में भमेरिका की शिक्षा पद्धति की योजना का यत्न किया, इंगलेंड को पढ़ने जाने वाले हिन्दुभ्राताओं को आपने सिखाया कि वे अपने देश में अंगरेजी आविष्कारों का हुनरोंका प्रचार कर के भारतीय उद्योग धंधों की उन्नति करने का यत्न करें, पत्रों में आपने लेखों द्वारा आन्दोलन करके हमारे युवाओं और विद्वानों का ध्यान इंगलैंड और अमेरिका के उद्योग धंधे सीख कर और इस देश में प्रचार करने के लिये उनका ध्यान आकर्षित किया। इस प्रकार भारत को जो बहुमूल्य सेवा आपने की है, उसके लिये हम अपने शुद्ध अन्तःकरण से आभार मानते हैं. . यह एकत्रित समूह इस बात को सोच कर बड़ा आनन्दित होता है कि आपही भारतीय हिन्दु समाज के प्रथम हिन्दू है जिसने अपनी स्त्रीसहित यात्रा की और पश्चिमीय संसार को भारतीय हिन्दु स्त्री के जीवन का उदाहरण बताया आपके पुत्र मास्टर मोहन जो दो वर्ष अमेरिका ठहरे और वहां के विद्यालय में शिक्षा पाई, हमें आशा दिलाते हैं कि आपके पश्चात दूसरे गांधी चनने का अवसर देंगे। मापके शुभ कार्य बढ़ी For Private and Personal Use Only
SR No.020902
Book TitleVirchand Raghavji Gandhi Ka Jivan Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShyamlal Vaishya Murar
PublisherJainilal Press
Publication Year1919
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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