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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना दीक्षा लेने के समय उनके माता-पिता जीवित थे। किन्तु श्वेताम्बर शास्त्रोंके अनुसार दोनोंके स्वर्गवास होनेके दो वर्ष पश्चात् भगवान् महावीरने दीक्षा ली है। सकलकीतिने प्रत्येक अधिकारके अन्तमें जो पुष्पिका दी है उसके अनुसार प्रस्तुत ग्रन्थका नाम 'वीरवर्धमानचरित' है। ___९. भगवान महावीरके पूर्वभव-दिगम्बर परम्परामें पुरूरवा भीलसे लेकर महावीर होने तक भगवान्के गणनीय ३३ भवोंका उल्लेख है जब कि श्वेताम्बर परम्परामें २७ ही भव मिलते हैं। उनमें प्रारम्भके २२ भव कुछ नाम-परिवर्तनादिके साथ वे ही हैं, जो कि दि, परम्परामें बतलाये गये हैं। शेष भवोंमें से कुछको नहीं माना है। उनकी स्पष्ट जानकारीके लिए यहाँ पर दोनों परम्पराओंके अनुसार भगवान् महावीरके पूर्वभव दिये जाते हैंदिगम्बर मान्यतानुसार श्वेताम्बर मान्यतानुसार १. पुरूरवा भील १. नयसार भिल्लराज २. सौधर्म देव २. सौधर्म देव ३. मरीचिकुमार ३. मरीचिकुमार ४. ब्रह्मस्वर्गका देव ४. ब्रह्मस्वर्गका देव ५. जटिल ब्राह्मण ५. कौशिक ब्राह्मण ६. सौधर्म स्वर्गका देव ६. ईशान स्वर्गका देव ७. पुष्यमित्र ब्राह्मण ७. पुष्यमित्र ब्राह्मण ८. सौधर्म देव ८. सौधर्म देव ९. अग्निसह ब्राह्मण ९. अग्न्युद्योत ब्राह्मण १०. सनत्कुमार देव १०. ईशान देव ११. अग्निमित्र ब्राह्मण ११. अग्निभूति ब्राह्मण १२. माहेन्द्र देव १२. सनत्कुमार देव १३. भारद्वाज ब्राह्मण १३. भारद्वाज ब्राह्मण १४. माहेन्द्र देव १४. माहेन्द्र देव अस-स्थावर योनिके असंख्यात भव अन्य अनेक भव १५. स्थावर ब्राह्मण १५. स्थावर ब्राह्मण १६. माहेन्द्र देव १६. ब्रह्म स्वर्गका देव १७. विश्वनन्दी ( मुनिपदमें निदान ) १७. विश्वभूति ( मुनिपदमें निदान ) १८. महाशुक्र स्वर्गका देव . १८. महाशुक्र स्वर्गका देव १९. त्रिपृष्ठ नारायण १९. त्रिपृष्ठ नारायण २०. सातवें नरकका नारकी २०. सातवें नरकका नारकी २१. सिंह २१. सिंह २२. प्रथम नरकका नारकी २२. प्रथम नरकका नारकी २३. सिंह ( मृग-भक्षणके समय चारणमुनि द्वारा सम्बोधन) २४. सौधर्म स्वर्गका देव २५. कनकोज्ज्वल राजा २६. लान्तव स्वर्गका देव २७. हरिषेण राजा xxxxx For Private And Personal Use Only
SR No.020901
Book TitleVir Vardhaman Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSakalkirti, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1974
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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