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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir श्री विपाकसूत्र [प्रकाशकीय निवेदन नुभावों को अधिक है जिन के सत्प्रयास एवं धन के सदुपयोग से शास्त्र प्रकाशित हो सके हैं। धन के स्वामी तो लाखों मिल सकते हैं किन्तु धार्मिक कार्यों में धन लगाने वाले कोई विरले ही होते हैं। हमें प्रसन्नता है कि वर्षों से शास्त्रमाला कार्यालय दानी महानुभावों के पुण्यमय मधुर सहयोग से आगमसेवा का लाभ उठाता आ रहा है । जैन शास्त्रमाला कार्यालय के सदस्य को ६२५ रुपये देने होते हैं । इन रुपयों द्वारा शास्त्रों का प्रकाशन होता है । प्रकाशित शास्त्र शास्त्रमाला द्वारा बेचे जाते हैं। शास्त्रविक्रय से प्राप्त धन द्वारा पुनः शास्त्रों का प्रकाशन किया जाता है । शास्त्रमाला के ये सभी काम व्यवस्थित तथा नियमबद्ध किए जाते हैं। - शास्त्रमाला द्वारा प्रकाशित शास्त्रों का कितना सम्मान हुआ और वे कितने लोकप्रिय बने ? इस का उत्तर संक्षेप में इतना ही दिया जा सकता है कि जिस काम का आरम्भ अाठ व्यत्तियों से हुआ था,आज उस में ५८ व्यक्ति अपना सहयोग दे रहे हैं, जिनमें कई एक बहिनें भी हैं। सदस्यों की संख्या का बढ़ जाना ही शास्त्रमाला की लोकप्रियता का एक ज्वलन्त उदाहरण है। शास्त्रमाला के सदस्यों के पवित्र नाम नीचे की पंक्तियों में दिए जाते हैं१ श्री खज़ाश्चीराम जी जैन, लाहौर वाले, प्रोपरा- १५ ,, तेलूराम जैन, ठेकेदार, जालंधर छावनी । इटर- मेहरचन्द लक्ष्मणदास, कूचा चेलां १६ ,, हुकुमचन्द जी जैन, प्रोपराईटर- जैन साइदरियागञ्ज, देहली। कल कम्पनी, घण्टाघर लुधियाना । २ स्वर्गीय श्री आशाराम जी जैन कसूरवाले। १७ ., रामजीदास जी जैन, प्रोपराईटर-नौहरिया३ स्वर्गीय श्री सन्तलाल जी जैन, प्रोपराइटर-ला० मल रामजीदास, लोहे वाले, मालेरकोटला । मल्लीमल सन्तलाल जैन चौड़ा बाजार लुधियाना १८ बहिन देवकी देवी जी जैन, प्रिंसिपल- जैन गर्ल ४ श्री सोहनलाल जी जैन, प्रोपराइटर- ला० हाई स्कूल, लुधियाना।। मिड्डीमल बाबूराम जैन, चौड़ा बाजार लुधियाना। चाहापामार वाचवाना। १६ श्री वलायतीराम जी जैन,प्रोपराईटर-मय्याशाह ५ स्वर्गीय बाबू परमानन्द जी वकील कसूर वाले। ऐण्ड सन्ज. रावलपिंडी वाले. न्य देहली। ६ श्री गोपीराम जी प्रोपराइटर- कन्हैयालाल २० श्री सावित्री देवी जी जैन, सुपुत्री-ला० मुन्शीराम वृजलाल, डब्बी बाजार, होशियारपुर । ७ स्वर्गीय श्री रोचीशाह जी जैन, रावलपिंडी वाले जी जैन अर्जीनवीस जीरा वाल । अब आपने श्रद्धया जैनधर्मोपदेशिका महासती श्रीचन्दाजी ८ स्वर्गीय श्री तेजेशाह जी रावलपिंडी वाले। ६ श्री शालिग्राम जी जैन, जम्मू। म के चरणों में जैनदीक्षा अङ्गीकार करली है। १० श्री बख्शीराम चिमनलाल जी जैन, जनरल २१ श्री वलायतीराम जी, प्रोपराईटर- ला० गेन्दा___ मर्चेट्स लुधियाना। मल वलायतीराम, जनरल मर्चेट्स,कनाट प्लेस, ११ श्री नन्दलाल जी जैन, दलाल, लुधियाना । न्यू देहली। १२ , धूमीराम ऐण्ड सन्स, जालन्धर छावनी। २२ श्री सावनमल जी नाहर, स्यालकोट वाले, १३ ,, मंगलसेन रोशनलाल जी जैन, भटिण्डा। बजाज, गली कर्ताराम, लुधियाना । १४ ,, लद्धशाह जी जैन; लाहौर वाले, सदर बाज़ार २३ श्री चरणदास जी जैन, प्रोपराईटर- पिक्चरदेहली। पैलेस टॅाकी, पटियाला । For Private And Personal
SR No.020898
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Hemchandra Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalay
Publication Year1954
Total Pages829
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size20 MB
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