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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ गणपाठ शुद्धाशुद्धपत्रम् ॥ - वाच - तादयः - भमिका॥ ३२ २२ मागयनः | आर्गयनः | पृष्ठे पंक्तौ अशुद्धम् शुद्धम् | ३२ २ (नोट) भवः । भवं. १ ६ चिन्ह | चिह वा (-)ऐसा | ३३ १७ स ता स ताक्ष १ १३ वातिक | वार्तिक ३८ ५ वाच ३१ २ न् पृष्ठे पंक्तौ अशुद्धम् शुद्धम् ४० ६ समान | समाना १ ४ प्रति प्राति ३६ १२ छेदन २ ६ कृत्वर्थः । कृत्वोर्थः ३६ १४ वैरङ्गकः | वैरङ्गिकः ३ १ (नोट) ,,, प्रवचना | प्रवचनादि उपसगा | उपसा ४० १० इत्या इत्य(४ २० तादयाः | ४१ १६ राश्रम ४ ३ (नोट)तोइच् | तेच | राश्रम्य ५ ४ (नो.) गतिप्रा कुगतिमाः ४१ १५ परिमाण्डल परिमण्डल ६ १०(नो.) पिवति पिवत ४१ २४ सांसैन्या | वा सैना 1८ ३ (नोट) बैधि | विधी . ४२ १० कैशीर | कैशोर 1१० १ (नोट) यूवा | युवा ४२ १० नान्तु '१२ ८ (नोट) निन- जिनयश्च ४४ २ ध्याया ४४ ३(नोट)शब्दो।| शब्दो . १९ २ (नोट)सवाज सुवांज ४५ १८ कृते कृत |२१ ३ (नोट) हृद्भ हृद्भग ,, २२ प्रत्ययो । प्रत्ययौ २२ ५ (नोट) यञ् | यज ,, २(नोट)पलालिनः पलालिनः २२ ६ (नोट)प्रत्य प्रत्यय ४७ २३ प्टक . | ठक् २४ २५ वाजपैयि | वाजपेयि ४६४(नोट)प्रत्यस्य प्रत्ययस्य २४ २० . विश्वदेव ,, ५ (नोट) च्छब्द च्छब्दाः २८३ ० । विजग्ध ५० ६ लोपः लोपाः २६६ संबंध सबन्ध ५१ २६ वोषा घोषा २६ २१ माहकी | माहिकी ५१ १७ अश्लीला | अश्लील |३१ १६ छण छण ५२ २१ न्यूत्तर | न्यसर याध्यायो For Private And Personal Use Only
SR No.020882
Book TitleVedang Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayanand Sarasvati Swami
PublisherDayanand Sarasvati Swami
Publication Year1892
Total Pages326
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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