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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिश्रितप्रकरणम् ४. (४५) हारीतकाकर्शकपोतकोका चूकस्तथा पिंगलिकाशृगालौ॥ क्रूरावराक्रोशनरोदनानि भवंति नित्यं बलवंत्यत्राच्याम् ।। ॥ २२॥ उत्कोशगोकौंचबिडालहंसाः कपिंजलो लोमसिका शशश्च ॥ वादित्रगीतोत्सवनृत्यहासा बलं प्रतीच्यामधिकं वहन्ति ॥२३॥ ॥ टीका ॥ डछी इति प्रसिद्धः मयूरःप्रसिद्धः पुटिन्यः इति अन्यत्र देशप्रसिद्धाः दुरलीवा कोडीयाल इतिजलजंतुः सिंहनादःसिंहध्वनिः गजो हस्ती वंजुलका पक्षिविशेषःमध्यदेशंपीतरापाणंतरा इति प्रसिद्ध छिक्कर इतिहरिणविशेषःस कृकवाकुरिति कृकवाकु: कक्कटतेनसहितः एतान्॥२१॥ हारीतेति।। अवाच्यांदक्षिणस्यां नित्यमेतानिबलवंति भवंति। एतानि कानीत्यपेक्षायामाह । हारीतेत्यादि हारीतश्च काकश्च ऋक्षश्च कपोतश्च कोकश्च हारीतकाकःकपोतकोकाः इतरेतरद्वंद्वः तत्र हारीतःहारिल तिलगुरु इति लोके प्रसिद्धः। काकः चिरजीवीऋक्षःऋच्छ इति लोके प्रसिद्धः । कपोतः दोलाख्यः गुर्जर प्रसिद्धः अन्यत्र पिंडुकीति यावनीभाषयां फाक्कति कोकः चक्रवाकः घूकः काकारिः पिंगलिका पूर्वोक्ता शृगालः गोमायुः करवाः करशब्दाः कोशनमाक्रोशनं रोदनानि प्रसिद्धानि ॥ २२ ॥ उत्क्रोशत्यादि। रते प्रतीच्या ॥ भाषा ॥ या नामकर प्रसिद्ध है ये जलको जंतुहै और सिंहवनि और हस्ती और वंजुलक पक्षी मध्यदेशमें पीतय या नामकर प्रसिद्ध है और छिक्कर ये हरिण नाम प्रसिद्ध है और कुकवाक कुकुडा ता करके सहित इने विवेकी पूर्वदिशामें बहुत बलवान् कहैहैं ॥ २१॥ हारीतेति ॥ हारीत ये हारिल, और तिलगुरु या नामकरके प्रसिद्ध है, और काक ऋक्षनाम रीछकोहै, और कपोत गुर्जर देशमें तो दोला नामकरके विख्यात है, और देशमें पिंडुकी नामकरके विख्यात है, यावनीभाषामें फाका नामकर विख्यात है, और कोका नाम चक्रवाकको है, और घूकनाम घुध्धूको है, और पिंगलिका पहले कह आयेहैं, और शृगालनाम श्यारियाकू कहै हैं, और क्रूर शब्द और आक्रोशनपुकारनो, और रोदन नाम रोवनो ये सब दक्षिणदिशामें निरंतरबलवान् होयह ॥ २२ ॥ उत्क्रोशेति ॥ कुररी पक्षी, और गो, For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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