SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 62
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२६) वसंतराजशाकुने-तृतीयो वर्गः। तस्मिन्विचित्रं विततं विदध्यात्पिष्टानकेनाऽष्टदलं सरोजम् ॥ यद्वा विशिष्टैर्मसृणप्रपिष्टैर्वस्त्वंतरैश्चंदनकुंकुमाद्यैः ॥ १० ॥ पीतः सुरेशः कपिलो हुताशः कृष्णो यमः श्यामवपुश्च रक्षः ॥ शुक्लः प्रचेता हरितः समीरश्चित्रो धनेशो धवलो महेशः ॥११॥ ॥ टीका ॥ । तस्मिन्निति ॥ तस्मिन्मंडले पिष्टानकेनाष्टदलमष्टपत्रं सरोज कमलं विदध्याकुर्यात् कीदृशं विचित्र विविधवर्णोपेतं पुनः कीदृशं विततं विस्तीर्ण यद्वा कुंकुमचंदनायैरिति कुंकुम केसरं काश्मीरं कुंकुमं वह्निशिखेति कोशोक्त चंदनं मलयोद्भ वं ते आये येषां तैस्तथा कीदृशैविशिष्टैः नवीनः महणप्रपिष्टैरिति मसृणंम्लष्टं प्रपिटैमदितैर्वस्त्वंतरैः पदार्थातरैः सरोज कुर्यादित्यर्थः॥ १० ॥ पीत इति ॥ पीतः सुरेशो मघवान् वर्तते इति अस्य सर्वत्र संबंधःहुताश-कपिलः पीतरक्त इत्यर्थः।यमः कृष्णश्च पुनरर्थे रक्षः श्यामवपुः श्यामं वपुर्यस्य स तथा प्रचेता वरुणः शुक्लः।समीरः पवनः हरितो नीलवर्णधिनेशोधनदः चित्रोऽनेकवर्णः। महेशो रुद्रः धवलः श्वेतवर्णः श्वेतो गुणो विद्यते यस्मिनिति।अर्शआदित्वादप्रत्यये विशेषणविशेष्यभावः११ ॥ भाषा ॥ यामें नहीं लाना ॥९॥ वा मंडलमें करनो सो कहैं हैं तस्मिनिति॥ता मंडलमें चून करके चित्रविचित्र वर्ण करके युक्त होय, और लंबो चौडो होय ऐसो अष्टदल कमल करै अथवा कुंकुम जो केसर और मलयागिरिको चंदन ये हैं आदिमें जिनके तिनकरके वा नवीन पिसे हुपे और कोई पदार्थ तिन करके कमलकरै ॥ १० ॥ पीत इति ॥ पीत वर्ण जाको ऐसो देवतानको स्वामी इंद्र वर्ते है और कपिल जो पीतरक्त है वर्ण जाको ऐसो अग्निवत्तें है; और कृष्ण है वर्ण जाको ऐसो यमराज, और श्यामहे वपु जाको ऐसो राक्षस और शुक्ल है वर्ण जिनको ऐसो वरुण, और हरित जो नीलवर्ण है जाको ऐसो पवन, और अनेक हैं वर्ण जाके ऐसो धनेश जो कुबेर, और श्वेत है वर्ण जिनको अ. For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy