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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शास्त्रसंग्रहप्रकरणम् २. (१९) एकादशं यश्च करापिकाया रुतं तदेकादशवृत्तमेव ॥ एकाधिकाशीतियुतं शतं यत्तहादशे काकरुते प्रदिष्टम् ॥ ७॥ त्रयोदशे पिंगलिकारते तु भविष्यतो वृत्तशते तथोभे ॥ पंचाशता चैव चतुष्पदानां वर्गोऽत्र भावी स चतुर्दशो यः॥ ॥त्रयोदशैवेह च षट्पदादिरुताभिधे पंचदशऽथ वर्गे।। पिपीलिकाशाकुनसंज्ञवर्गों यः षोडशः पंचदशैव तस्मिन् ॥९॥ ॥ टीका ॥ वर्गों वर्तते सः अत्रास्मिन् शास्त्रे नवमोभावी कीदृशः सपंचवृत्त इति पंचवृत्तः सह वर्तमान इत्यर्थः। तथा पूर्वोक्तप्रकारेण इहेति अस्मिन् शास्त्रे खंजनशाकुनाख्ये खंजनविचारसंज्ञिते दशमे वर्गे षडिशतिवृत्तानि भावीनि ॥ ६ ॥ एकादशेति ॥ च पुनः यदेकादशं करापिकारुतं वर्तते तदेकादशवृत्तमेवेति।एकादशसंख्यानि वृत्तानि यत्र तथा एकाधिकाशीतिशतयुतं यद्वर्तते अर्थावृत्तानां तद्वादशे काकरुते प्रदिष्टं कथितमित्यर्थः॥७॥ त्रयोदश इति ॥ तथा त्रयोदशे पिंगलिकारते उभे वृत्तशते भविष्यतः । यश्चतुर्दशश्चतुष्पदानां वर्गः सोत्र पंचाशता वृत्तै वीति ॥ ८॥ त्रयोदशेति । पंचदशे वर्गे षट्पदादिरुताभिधे षट्पदप्रभृतीनां यद्भुतं तदेवाभिधायस्य तत्तथा त्रयोदशैर्वृत्तरिह जानीहि संख्यामिति शेषः।नाधिकीरत्यर्थःायः पिपीलिकाशाकुनसंज्ञवर्गो वर्तते स षोडशो वर्गस्तस्मिन् शास्त्रे पंचदशैर्वृत्तैर्भवितव्यम् ॥ ॥ भाषा॥ पचाश श्लोक जामें ऐसो नवमवर्ग होयगो, और तैसें या शास्त्रमें खंजन शाकुन नाम जाको ऐसोदशमो वर्ग तामें छब्बीस श्लोक होयेंगेः॥ ६ ॥ एकादशेति ॥ करापिकारुत नाम करके ग्यारह हैं श्लोक जामें ऐसो ग्यारमो वर्ग कहेंगे, और एक सी इक्यासी श्लोक करके युक्त काकरुत जाको नामरेसो बारमो वर्ग कह्योहै ॥ ७ ॥ त्रयोदशेति ॥ और तैसेही दोसै हैं वृत्त कहिये श्लोक जामें ऐसो पिंगलिकारुतनाम तेरखों वर्ग होयगो और जो चोदवों वर्ग चतुष्पदनको है वाके पंचाश श्लोक होयेंगे. ॥ ८॥ त्रयोदशेति ॥ भ्रमरादिकनको जो रुत कहिये शब्द सोई है नाम जाको ऐसो पंद्रमो वर्ग तेरह श्लोकन करके होयगो, और जो पिपीलिका शाकुन संज्ञा जा. For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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