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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोदकीरते विवाहप्रकरणम् । (१८१) तारस्य पक्षिद्वितयस्यमध्याद्यत्संज्ञकोऽभ्येति निवृत्य वामम्।। मध्यात्कुमारीवरयोरवश्यं तत्संज्ञकः पूर्वमुपैति मृत्युम् ॥ ॥२५८॥श्थामायुगे दक्षिणगे विहंगी विहंगमश्चेत्परिहत्य याति ॥ त्यक्त्वा स्त्रियं तत्पुरुषः प्रयाति नारी नरं मुंचति वैपरीत्यात् ॥ २५९॥ निमज्य धूल्यामुपगम्य तारा तारां शुभे तिष्ठति चेत्प्रदेशे ॥ तनिश्चितं पांथसमूहमाता वोढः परिव्राजकतां ब्रवीति ॥ २६०॥ चंचपुटांतास्थिलवानुलोमायद्याश्रयेदेशमनिंदनीयम् ॥ ब्रूते कपालव्रतधारणं तत्वगी कुमार्या विहगो नरस्य ॥२६१ ॥ ॥ टीका॥ भवेत् द्वितयं च तथाविधं भवति तदा द्वयस्य राज्यं स्यात् ॥ २५७ ॥ तारस्यति । तारस्य पक्षिद्वितयस्य मध्याद्यत्संज्ञकः निवृत्य वाममभ्येति तदा कुमारीवरयोर्म ध्यात्तत्संज्ञकः पूर्व मृत्युमुपैति ॥ २५८ ॥ श्यामेति ॥ श्यामायुगे दक्षिणगे सति विहंगी विहंगमः परिहत्य याति तदा तत्पुरुषः स्त्रियं त्यक्त्वा याति वैपरीत्यानारी नरं मुंचति ॥ २५९ ॥ निमज्येति ॥ धूल्यां निमज्य ततः तारामुपगम्य चेच्छुभे प्रदेशे तिष्ठति तदा निश्चितं पांथसमूहमाता वोटुः परिव्राजकतां ब्रवीति ॥२६०॥ चंचिति ॥ यदि चंचूपुटातास्थिलवा अनुलोमा निंदनीयं देशमाश्रयेत् तदा खगी ॥भाषा॥ . पुरुष भी राज्य होय ॥ २५७ ॥ तारस्येति ॥ पोदकीके युगलमेंसे स्त्रीसंज्ञक वा पुरुषसंज्ञक पीछेकू वगदकर वामभागमें आय जाय तो कन्यावर दोनोंनमें सूं वोही संज्ञक पूर्व मरै स्त्रीसंज्ञक पक्षी वाम आवे तो कन्या पहले मरै जो पुरुषसंज्ञक आवे तो वर पहले मरै ॥३६८॥ ॥ श्यामेति ॥ श्यामाको युगल दक्षिणभागमें होय पुरुष पक्षी पक्षिणी छोडके चलो जाय तो वो पुरुषत्रीकू छोडके चल्यो जाय जो वामभागमें आय विहंगी विहंगमकू छोड़ चली जाय तो स्त्रीपुरुषकू छोड़के चलीजाय ॥ २५९ ॥ निमज्येति ॥ पोदकी धूलमें स्नानकरके तारा होयकर जो शुभस्थानमें स्थित होय तो निश्चयही कन्याको भर्तार संन्यासी होय ॥ २६० ॥ चंध्विति ॥ जो चोंचमें हाडको टूकलिये अनुलोमा होयकर शुभदेशमें स्थित होय तो जो खगी होय तो कन्याकू, और खग होय तो पुरुषकू कपाल ब्रतधारण कर For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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