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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोदकीरुते संधिविग्रहजयादिप्रकरणम्। (१७१), स्यात्तोरणांतेप्रतिलोमगा चेत्तारायदिस्यादथवा निवृत्तौ।सप्तांगसंवृद्धसमृद्धराज्यमाज्यं यथानौ प्रविलीयते तत्॥२२॥ राज्यं चिकीर्षोयदि तोरणांते प्रदक्षिणं याति खगोऽन्यजातिः॥ विश्वंभरायामुररीकृतायां तदाधिपत्यं लभते नृपोऽन्यः२२२॥ इति पोदकीरते राज्याभिषेकप्रकरणं नवमम् ॥ ९॥ संधिविग्रहसपत्नसंगमात्सांप्रतंजयपराजयौ तथा॥बमहे शुभपथप्रवर्तिनां भूभृतां शकुननीतिवर्तिनाम् ॥ २२३॥ ॥ टीका ॥ तत्तथा ॥२२०॥ स्वादिति ॥ सप्तांगैःस्वामिजनपदामात्यकोशदुर्गवलमुहद्भिः संवृद्ध वृद्धि प्राप्तं समृद्धमृद्धिमदाज्यं तत्तोरणांते प्रतिलोमगा चेत्स्यात् । अथवा निवृत्तौ यदि तारा स्यात्तदा विलीयते समागतमपि विलयं यातीत्यर्थः किमिव आज्यं यथा अमौ प्रविलीयते ॥ २२१ ॥ राज्यमिति ॥ यदि राज्यं चिकीर्षोंः तोरगांतेन्यजातिः खगः प्रदक्षिणं याति तदा विश्वंभरायामुररीकृतायां अन्यो नृपः आधिपत्यं लभते ॥ २२२ ॥ इति शत्रुजयकरमोचनादिसुकृतकारिमहोपाध्यायश्रीभानुचंद्रविरचिताया ___ वसंतराजटीकायां पोदकीरुते राज्याभिषेकप्रकरणं नवमम् ॥ ९॥ संधीति ॥ शुभपथप्रवत्तिनो भूभुजां संधिविग्रहसपत्नसंगमात् तथा जयपराजयो ॥ भाषा॥ मस्तकनकू नमाय नमाय जाके सिंहासनकू नमस्कार कर ऐसो राज्य होय ॥ २२० ॥ स्यादिति ॥ जो तोरणांतमें प्रतिलोमा होय. अथवा निवृत्ति समयमें जो तारा होय तो स्वामी १ जनपद २ अमात्य ३ कोश ४ दुर्ग ५ बल ६ सुहृद ७ ये राज्यके सातों अंगनकरके वृद्धिकुं प्रात होय रह्यो और ऋद्धिवान् ऐसोभी राज्यनाशक प्राप्त होय कौन किसीनाई जैसे अग्निमें घृत लीन होय जाय तैसेही राज्य लीन होय जाय ॥ २२१ ॥ राज्यमिति ॥ राज्यकरो चाहं ताके जो तोरणांतमें और जातिको पक्षी प्राप्त होय, और, तारा कहूं चलीगई होय नहीं दीखै तो और राजा अधिपति होय ॥ २२२ ॥ इति श्रीजटाशंकरतनयज्योतिर्विच्छीधरविरचितायांवसंतराजभाषा टीकायांपादकीस्ते राज्याभिषेकप्रकरणं नवमंम् समाप्तम् ॥ ९ ॥ संधीति ॥ शुभमार्गमें प्रवर्त हाय रहे और शकुनमार्गमें वर्त रहे ऐसे राजानको मि For Private And Personal Use Only
SR No.020879
Book TitleVasantraj Shakunam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVasantraj Bhatt, Bhanuchandravijay Gani
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1828
Total Pages596
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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