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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org श्रीवास्तव, "सम इन्टरेस्टिंग स्कल्पचर्स इन दि स्टेट म्यूजियम, लखनऊ", संग्रहालय पुरातत्व पत्रिका, अंक 9, जून 1972, पृ. 45 22. द्रष्टव्य मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, "सर्वतोभद्रिका जिन मूर्तियाँ या जिन चौमुखी" सम्बोधि, खण्ड 8, अंक 1-4, अप्रैल 79 जनवरी 80, पृ. 1-7 23. पी.के. अग्रवाल, “दि ट्रिपल यक्ष स्टैचू फ्राम राजघाट", छवि, (सं. आनन्द कृष्ण) वाराणसी 1971, पृ. 340-42 24. वी.एस. अग्रवाल, भारतीय कला, वाराणसी पृ. 336 व 343 25. यू. पी. शाह, "यक्षज वरशिप इन अर्ली लिटरेचर", जर्नल ऑफ ओरियण्टल इन्स्टीट्यूट, खण्ड 3, अंक 1 सितम्बर, 1953, पृ. 61-62 26. जैन ग्रन्थों के आधार पर 24 यक्ष एवं यक्षियों के नाम निम्नलिखित हैं : गोमुख-चक्रेश्वरी ( या अप्रतिचक्रा), महायक्ष - अजिता (रोहिणी), त्रिमुख- दुरितारि (प्रज्ञप्ति), यक्षेश्वर (या ईश्वर ) - कालिका ( या वज्र श्रृंखला), तुम्बरु (या तुम्बर), महाकाली ( पुरुषदत्ता), कुसुम ( या पुष्प), अच्युता (या मनोवेगा), मातंग (या वरनन्दि), शान्ता (या काली), विजय (या श्याम), भृकुटी ( या ज्वालामालिनी), अजित - सुतारा (या महाकाली), ब्रह्म- अशोका ( या मानवी), ईश्वर - मानवी (या गौरी), कुमार- चण्डा (या गान्धारी), षण्मुख (चर्तुमुख), विदिता (या वैरोटी), पाताल - अंकुशा (या अनन्तमती), किन्नर - कन्दर्पा (या मानसी), गरुड-निर्वाणी (या महामानवी), गन्धर्व-बला (या जया), यक्षेन्द्र (या खेन्द्र), धारणी (या तारावती), कुबेर (या यक्षेश), वैरोट्या (या अपराजिता), वरुण - नरदत्ता (बहुरूपिणी), भृकुटी - गांधारी (या चामुण्डा), गोमेध - अम्बिका (आम्रा या कुष्माडिनी), पार्श्व (या धरण), पद्मावती एवं मातंग - सिद्धायिका ( या सिद्धायिनी ) । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 27. यू. पी. शाह, "ब्रह्मशान्ति एण्ड कपर्द्दि यक्षज", जर्नल एम.एस. यूनिवर्सिटी, बड़ौदा, खण्ड 7, अंक 1, मार्च 1958, पृ. 59-72 28. द्रष्टव्य, यू.पी. शाह, " आइकानोग्राफी ऑव दि सिक्सटीन जैन महाविद्याज", जर्नल इण्डियन सोसायटी ऑव ओरियण्टल आर्ट, खण्ड 15, 1947, पृ. 114-77; मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी "दि आइकानोग्राफी ऑव दि सिक्सटीन महाविद्याज ऐज रिप्रेजेण्टेड इन दि सीलिंग ऑव दि शान्तिनाथ टेम्पल, कुम्भारिया", सम्बोधि ( अहमदाबाद), खण्ड 1, अंक 3, अक्टूबर 1973, पृ. 15-22 29. विस्तार के लिए द्रष्टव्य, सागरमल जैन तथा मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, जैन साहित्य और शिल्प में बाहुबली, वाराणसी, 1981 30. विस्तार के लिए द्रष्टव्य, मारुतिनन्दन प्रसाद तिवारी, एवं शान्ति स्वरूप सिन्हा, जैन कला तीर्थ : देवगढ़, वाराणसी, 2002 ई. 702 :: जैनधर्म परिचय 31. पू.नि., पृ. 109-112 32. मारुति नन्दन प्रसाद तिवारी एवं शान्ति स्वरूप सिन्हा, जैन आर्ट ऐण्ड ऐस्थेटिक्स, नई दिल्ली, 2011, पृ. 178-199 For Private And Personal Use Only
SR No.020865
Book TitleJain Dharm Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhprasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2012
Total Pages876
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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